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पारंपरिक अनाजों के पकवान लवी मेला मैदान में बने आकर्षण का केंद्र

रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।

पारंपरिक मोटे अनाज के खाद्यान्नों की पौष्टिकता एवं औषधि गुणों से लवी मेला मैदान में किया जा रहा है जागरूक । राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनी सहायता समूह की महिलाएं हो या फिर अन्य ग्रामीण स्थानीय उत्पादों के व्यंजन बनाकर आम लोगों को इनके सेवन से होने वाले लाभ का दे रहे है ज्ञान। स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाए दे रहे है संदेश निरोग और लंबा जीवन जीने के लिए जहर मुक्त पारंपरिक अनाजों की ओर जाने की है जरूरत। ग्रामीण लोग पारंपरिक मोटे अनाजों को उगा कर पा सकते है स्वरोजगार का भी विकल्प।

अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला मैदान में पहाड़ी विलुप्तप्राय मोटे अनाजों से बने खाद्यान्नों को परोस कर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। खासकर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के समूहों द्वारा तैयार किए प्लवानो की लोग खूब मांग कर रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि सशक्त नारी सब पर भारी थीम लेकर के वे लोगों को खासकर महिलाओं को जागरुक कर रहे हैं। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है कि ग्रामीण विलुप्तप्राय मोटे अनाजों को फिर से उगाना शुरू करें । इसे एक रोजगार के विकल्प के रूप में भी अपनाया जा सकता है। उनका कहना है कि ग्रामीण ऑर्गेनिक अनाजों से बने पकवान पौष्टिक एवं औषधि गुणों से भरपूर होते है और इनके सेवन से आदमी निरोग एवं लंबा जीवन जी सकता है। जैसे की हमारे पूर्वज निरोग और लंबा जीवन जीते थे आज का मनुष्य बीमारियों का घर बनता जा रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि पश्चिम संस्कृति सभ्यता व खानपान को छोड़ अपनी पारंपरिक खाद्यान्नों का इस्तेमाल करें । जिस तरह से चाइनीज चाऊमीन ,मोम के प्रति युवाओं में ज्यादा क्रेज है ।उसका विकल्प देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं कोदे के सिड्डू, मोमो आदि बना कर लोगों को विकल्प देने का प्रयास कर रहे हैं । ताकि सशक्त समाज स्वस्थ भारत बनाया जा सके।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रामपुर कलस्टर से जुड़ी भारती शर्मा ने बताया उन्होंने लवी मेला मैदान रामपुर में स्टॉल लगाया है। इसमें मोटे अनाजों से बने व्यंजन तैयार कर रहे हैं। जिस में कोदे के सिड्डू, मोमो, पकोड़े आदि बहुत सारे व्यंजन तैयार कर रहे हैं और लोगों को खिला रहे हैं। लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं । लोगों से भी आग्रह किया जा रहा है कि वह जंक फूड न खाकर पारंपरिक अनाजों के व्यंजन खाएं। उन्हे इस बात से खुशी है की अब ब्याह शादियों में भी उन्हे पारंपरिक पकवान बनाने के लिए ऑर्डर मिल रहे हैं।

दूर दराज फाँचा पंचायत की रोहिणी मेहता ने बताएं उन्होंने इस बार लवी मेला में स्टॉल लगाया है, जिसमें मोटे अनाज से सिड्डू, कोदे की चाय मोमो आदि लोगों को परोस रहे हैं। नई जनरेशन आजकल ज्यादातर जंक फूड खाकर बीमार हो रहे हैं। हमने उनके लिए पारंपरिक अनाजों से बने व्यंजन विल्प निकलकर दिया है। लोगो को प्रेरित कर रहे है पारंपरिक अनाजों के पकवान खाएं इससे रोजगार भी मिलेगा और पारंपरिक खेती भी बचेगी।

मेला देखने आई रेखा शर्मा ने बताया कि लवी मेला मैदान में ग्रामीण लोगों द्वारा अपने पारंपरिक उत्पाद बिक्री के लिए लाए गए है । हम लोगों से भी यही आग्रह करते हैं कि वे ग्रामीण पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा दें और निरोग जीवन जिए ।

रामपुर के दुर्गम क्षेत्र के रहने वाले चेतन पाकला ने बताया कि उन्होंने लवी मेला मैदान में स्टॉल लगाकर पारंपरिक अनाजों को बिक्री के लिए लाया है। उन्होंने बताया कि जो पुरानी विलुप्तप्राय फैसले हैं उन्हें लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे है।इन फसलों को पीसे आटे और दालें लोगों को वाजिद दामों पर दिया जा रहा है।

रोहडू रणसार से आए सुरेश ने बताया कि लवी मेले में स्टाल लगाकर लोकल अनाज बेच रहे है।वे कोशिश करते हैं कि वाजिद दामों पर इन्हे लोगों तक पहुंचाया जाए।
लोगों से यह भी निवेदन करते हैं कि वे पारंपरिक अनाजों को उगाना शुरू करें और अपना स्वरोजगार अपनाए।

रोहडू से पारंपरिक अनाज और अन्य स्थानीय उत्पादों को बेचने आए अमरनाथ ने बताया कि वे लवी मेला मैदान में सभी पारंपरिक अनाजों दलों व अन्य उत्पादों को लेकर आए हैं । लोगों से निवेदन करते हैं कि पारंपरिक अनाजों से बने व्यंजनों को खाएं निरोग रहे । लोग इन्हें बीजना भी शुरू करे। उन्होंने कोरोना काल का उदाहरण देते हुए कहा जब बाहर से राशन पानी आना बंद हुआ तो जिन लोगो के पास पारंपरिक अनाज थे तो उन्होंने अपने अनाज का प्रयोग किया। पारंपरिक फसलें बिना रसायनों के और पौष्टिक के साथ-साथ औषधिय गुणों से युक्त होते हैं।

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