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निरथ सतलुज नदी पर बने 84 मीटर लंबे पुल का लोकार्पण

रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी

एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने सतलुज नदी पर 25 करोड़ की लागत से बने 84 मीटर लंबे पुल का किया आज विधिवत उद्घाटन। पुल के बनने से निर्माणाधीन लुहरी परियोजना के साथ साथ आसपास के करीब आधा दर्जन पंचायतों के लोगो को होगा लाभ। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने बताया 210 मेगावाट की लुहरी चरण एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण लक्ष्य से एक वर्ष पूर्व करने का हो रहा है प्रयास। उन्होंने कहा उत्तराखंड के सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने में केंद्र सरकार ले रही है एसजेवीएन की सेवाएं।

एसजेवीएन के प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष नंदलाल शर्मा ने आज लुहरी परियोजना बांध निर्माण स्थल निरथ में सतलुज नदी पर 25 करोड़ की लागत से बने 84 मीटर लंबे पुल का उद्घाटन किया। इस पुल के बनने से जहां परियोजना निर्माण कार्यो को करने में आसानी रहेगी, वहीं आस पास के क्षेत्र की आधा दर्जन पंचायतों के लोगो को भी इस का आवाजाही के लिए लाभ होगा। नंद लाल ने बताया सतलुज नदी पर लुहरी और निरथ के मध्य कोई पुल नही था , ऐसे में सतलुज पार क्षेत्र के लोगो को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। पुल के उद्घाटन अवसर पर नंदलाल शर्मा ने बताया कि 210 मेगावाट की लुहरी परियोजना का निर्माण पूर्ण करने का लक्ष्य 2026 रखा गया है। लेकिन परियोजना निर्माण में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रयास से इसे 1 वर्ष पूर्व करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि एसजेवीएन ने न केवल सतलुज घाटी घाटी क्षेत्र बल्कि देश के 10 राज्यों में विभिन्न स्रोतों से विद्युत निर्माण का कार्य चलाया हुआ है । इसके अलावा नेपाल , भूटान में भी विद्युत परियोजनाएं निगम द्वारा बनाई जा रही है। उन्होंने कहा एसजेवीएन के सुरंगो के निर्माण अथवा ऐसे कार्यों में दक्षता को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए एसजेवीएन की सेवाएं ली है। उन्होंने बताया कि यमुनोत्री और गंगोत्री के मध्य नेशनल हाईवे पर जो 4 किलोमीटर की सुरंग बनाई जा रही थी उसमें दीपावली के दिन 41 मजदूर फंसे । एसजेवीएन ने 2 दिन के भीतर वालंटियरली 7 लोगों की टीम बनाकर मौके पर भेजी और वे राहत एवं बचाव कार्य में जुटे है। टीम में जूलॉजिस्ट , डिजाइनर और सिविल इंजीनियर शामिल है। उन्होंने बताया कि होरिजेंटल या वर्टिकल दोनो विकल्पो से होल किया जा रहा है। एसजेवीएन को वर्टिकल होल करने का जिम्मा दिया गया है। एसजेवीएन के के पास ऐसे कार्यों का पूर्व का भी अनुभव है। वर्ष 2015 में बिलासपुर के स्वारघाट में ऐसे ही घटना हुई थी , उन्होंने सक्सेसफुली बाहर निकालने में एसजेवीएन की अहम भूमिका रही।उन्होंने बताया की केंद्र सरकार की एजेंसियों ने एसजेवीएन से परामर्श के बाद उन के अनुभवों का प्रयोग करना शुरू किया है। इसी लिए वर्टिकल होल करने का कार्य सरकार ने एसजेवीएन को दिया है। एसजेवीएन ने तीन मशीनों को वार्टिकल होल के लिए पहुंचाया है और लगातार काम चल रहा है। अगर होरिजेंटल होल एसएफएल नही हुआ तो उन की तकनीक से मजदूर बाहर निकले जायेगे।
पुल के उद्घाटन अवसर पर एसजेवीएन के प्रमुख सलाहकार एमपी सूद , एसजेवीएन के सलाहकार सुरेश ठाकुर, नाथपा झाकरी परियोजना प्रमुख मनोज कुमार, लुहरी परियोजना प्रमुख सुनील चौधरी अदि उपस्थित थे।

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