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चीड़ की पत्तियों से महिलाएं बना रही है सजावटी समान

रामपुर बुशहर –विशेषर नेगी —- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन रामपुर व आसपास के क्षेत्र की
महिलाओं  के लिए साबित हो रहा है वरदान। क्षेत्र की 3 पंचायतों की
महिलाएं  चीड़ की पत्तियों से विभिन्न प्रकार के सजावट व् अन्य  दैनिक
उपयोग से जुड़े सामान बंनाने का ले रही है प्रशिक्षण   । इससे जहां चीड़ की
पत्तियों से जंगलों में लगने वाली आग पर  लगेगी रोक,  वहीं महिलाएं  इन
पत्तियों से बने सामान  को बेचकर  आत्मनिर्भरता की  ओर होंगी अग्रसर।-हिमाचल प्रदेश के शिमला  ज़िले के रामपुर उप मंडल क्षेत्र में
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से
विभिन्न दैनिक उपयोग व सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ताकि महिलाएं चीड़ की जंगलो में बेकार पड़ी पत्तियों को एकत्रित कर  चीड़
की पत्तियों से जंगलो में फैलने वाली आग पर अंकुश लग सके। इस के साथ साथ
इन बेकार पत्तियों से  विभिन्न सजावटी एवं दैनिक उपयोग की वस्तुए बना कर
स्वयं  सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण  महिलाएं  आय भी अर्जित करेगी।
रामपुर की तीन पंचायतो के स्वयमसाहयता समूह से जुडी महिलाओ ने
प्रशिक्षण  ले कर   कई  आकर्षक सामान तैयार कर चुकी है और वह इसे रोजगार
का एक विकल्प मान कर आगे बढ़  रही  है।  महिलाओं का कहना है कि राष्ट्रीय
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है,
इससे  महिलाये अवश्य  सशक्त व आत्मनिर्भर बनेंगी। चीड़  की पत्तियों से सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षित  दे रही
प्रशिक्षिका  अनीता ठाकुर ने बताया कंडाघाट सोलन से  प्रशिक्षण देने आई
है। तीन पंचायतों की समूह से जुड़ी महिलाओं  को प्रशिक्षण दिया गया।  इस
प्रशिक्षण को लेकर  महिलाये  आत्मनिर्भर बनेगी और दूसरा जो चीड़ की
पत्तियों की वजह से जंगलों में आग लगती थी उस पर भी रोक लगेगी। लालसा पंचायत की रहने वाली  संगीता शर्मा ने बताया शिंगला
पंचायत में प्रशिक्षण के लिए आये  है। यहां पर 3 पंचायतों की महिलाओं को
चिद्द की पत्तियों से विभिन्न प्रोडक्ट  बनाना सिखाया जा रहा है।  पहला
फायदा  यह होगा कि इससे हमारी आजीविका बढ़ेगी और दूसरा जंगलों में  जहाँ
चीड़ की  पतियों से  आग लगती है उसमें रोकथाम होगा  . जंगल तबाह होने से
बचेंगे।

यमुना जोशी ने बताया कि  वे चीड़  की पत्तियों से कई  सामान
बनाना सीख रहे है  जैसे फूलदान, चपाती बॉक्स  आदि

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