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गौवंश की तस्करी का चलता-फिरता अड्डा निकला टैंकर, मोबाइल ट्रैकिंग से दबोचा गया मास्टरमाइंड जाफर


बिलासपुर, न्यूज व्यूज पोस्ट।
ईंधन ढुलाई का मुखौटा और भीतर छिपी क्रूर सच्चाई — हिमाचल की सरहद में पकड़ा गया ऐसा टैंकर, जो चलता-फिरता गौतस्करी का अड्डा बन चुका था। लेकिन कानून के हाथ आखिरकार उस तस्कर तक पहुंच ही गए, जो खुद को बेकसूर साबित करने के लिए फोन पर झूठ पर झूठ बोल रहा था।

घटना 24 जुलाई की है। कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर गरा-बघेरी के पास पुलिस और एक्साइज विभाग की संयुक्त टीम ने नाका लगाया था। जांच के दौरान जैसे ही एक ऑयल टैंकर (HR 58D-4328) को रोका गया, उसकी धड़कती हुई दीवारों से रहस्य बाहर झांकने लगा। टैंकर के भीतर से कराहते गौवंश की आवाजें सुन पुलिस ने जब दरवाज़ा खुलवाया, तो हैरानी और दुख का मिश्रण था — 9 गौवंश, जिनमें से एक मृत। टैंकर में बैठे बैल और गाएं किसी जेल के कैदी से कम नहीं दिख रहे थे।

पुलिस जांच में साफ हुआ कि यह टैंकर पेट्रोल या डीजल ले जाने के लिए नहीं, बल्कि पशुओं की तस्करी के लिए विशेष रूप से मॉडिफाई किया गया था। पिछला हिस्सा काटकर दरवाज़ा बनाया गया था। हवा के लिए ऊपर की ओर तीन छेद और उनमें फिट किए गए एग्जॉस्ट फैन — मानो किसी डिजाइनर ने इसे तस्करी के लिए ही गढ़ा हो।

घटना के बाद चालक और सहचालक दोनों फरार हो गए। लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी। जब टैंकर के रजिस्ट्रेशन नंबर से मालिक की पहचान हुई और उसे कॉल किया गया, तो उसने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वह चालक नहीं है। लेकिन टेक्नोलॉजी झूठ का पर्दाफाश करने में पीछे नहीं रहती।
मोबाइल लोकेशन ट्रेस हुई — और लोकेशन थी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की। बिलासपुर पुलिस की एसआईटी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सहारनपुर में दबिश दी और आरोपी जाफर अली निवासी कठुआ, जम्मू को गिरफ्तार कर लिया।

जाफर अली ही इस टैंकर का मालिक, चालक और मास्टरमाइंड है। फिलहाल, उसे बिलासपुर लाकर न्यायालय में पेश किया जा रहा है, जबकि उसका सहचालक अभी भी फरार है।

एसपी बिलासपुर संदीप धवल ने पुष्टि की कि मामला संगीन है और इसे पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है। फरार आरोपी को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।



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