शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक और बड़ी कानूनी लड़ाई जीत ली है। इस फैसले के बाद किन्नौर स्थित 1,045 मेगावाट क्षमता वाली कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से राज्य को अब 12 फीसदी के बजाय 18 फीसदी रॉयल्टी मिलेगी। यानी अब सरकार को हर साल 100 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिलेंगे।
यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं थी, बल्कि राज्य के आर्थिक अधिकारों और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया साहसिक कदम था। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के पुराने फैसले को पलटता है, बल्कि राज्य सरकार की दूरदर्शिता और दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति को भी रेखांकित करता है।
12 साल का इंतजार और एक निर्णायक मोड़
1999 में हुए समझौते के अनुसार कंपनी को पहले 12 वर्षों तक 12% रॉयल्टी देनी थी और उसके बाद 18%। 2011 में परियोजना शुरू हुई और 2023 में 12 साल पूरे हुए। लेकिन जब अतिरिक्त 6% रॉयल्टी का समय आया, तो कंपनी ने इसे देने से इनकार कर दिया। मामला अदालतों में पहुंचा, और हाईकोर्ट से सरकार को झटका लगा।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की अगुवाई में मजबूत पैरवी की और अंततः जनहित की जीत हुई।
हिमाचल के हक की बहाली
यह फैसला केवल एक परियोजना तक सीमित नहीं रहेगा। अब राज्य सरकार अन्य पुरानी परियोजनाओं में भी 18 फीसदी रॉयल्टी की मांग को न्यायिक आधार पर आगे बढ़ा सकती है। इससे आने वाले वर्षों में हिमाचल की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को नया विस्तार मिलेगा।
दूसरी ऐतिहासिक जीत
यह सुक्खू सरकार की अदालतों में दूसरी बड़ी जीत है। इससे पहले वाइल्ड फ्लावर हॉल जैसे बहुचर्चित होटल केस में भी सुप्रीम कोर्ट से सरकार को राहत मिली थी। अब यह हैरिटेज प्रॉपर्टी भी राज्य के नियंत्रण में है और संभावित राजस्व स्रोत बनने की ओर अग्रसर है।