रामपुर बुशहर। न्यूज व्यूज पोस्ट।
पहली बार ऐसा हुआ है कि बुशहर रियासत के राज परिवार को चुनावो के दौरान प्रचार के लिए अपने गृह क्षेत्र से ही बाहर निकलने का मौका नहीं मिल रहा है । जबकि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के होते हुए एक या दो दिन मुश्किल से अपने गृह क्षेत्र के लोगों तक संदेश पहुंचाने के लिए रखे जाते थे। कई मर्तबा तो उनके हस्ताक्षरित पोस्टरनुमा पत्र को ही समूचे क्षेत्र में संदेश स्वरूप लोगो तक बांटा जाता था और कांग्रेस प्रत्याक्षी को इसी के सहारे रिकार्ड मतों से बढ़त मिलती थी। लेकिन वीरभद्र के चले जाने के बाद रामपुर में कांग्रेस का ग्राफ तेजी से नीचे उतरने लगा। हालात ऐसे हुए की कभी रामपुर से लोकसभा व विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी को 28 हजार तक की लीड मिलती थी, वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लीड को समेट कर 500 के आंकड़े तक पहुंचा दिया था। हालांकि पिछले लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को वीरभद्र सिंह के चले जाने के बाद सहानुभूति के वोट मिल गए थे । लेकिन इस बार उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह को अपने गृह क्षेत्र से सम्मानजनक लीड लेना संघर्ष पूर्ण बना है । यही कारण है कि हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष एवं स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह को चुनावो के दौरान पंद्रह पंद्रह दिन तक अपने गृह क्षेत्र में मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए पसीना बहाना पड़ा। उसके बाद उनकी पुत्री एवं विक्रमादित्य की बड़ी बहन 13 मई से रामपुर मैं डटे हुए हैं। स्वयं विक्रमादित्य सिंह बीच-बीच में रामपुर में आ कर कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश दे रहे हैं । उधर हिमाचल सरकार में सातवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं रामपुर के विधायक नंदलाल भी शुरू से ही रामपुर डटे हुए हैं । इससे साफ जाहिर है कि रामपुर में कांग्रेस के वोट बैंक की तिजोरी खुल कर बिखरने लगी है। वैसे तो इस बार कांग्रेसियों ने रामपुर विधानसभा हलके से लोकसभा के लिए विक्रमादित्य को लीड को 30 हजार से अधिक रखने का लक्ष्य रखा है। इस प्रयास में प्रतिभा सिंह और अपराजिता सिंह की भागीदारी को अहम माना जा रहा है । ग्रामीण वोटरों की माने तो उनके प्रयासों से ही रामपुर में विक्रमादित्य सिंह के लिए वोट बैंक में इजाफा इजाफा हो सकता है। शुरू से ही कांग्रेस प्रभुत्व वाले रामपुर में पिछले कुछ समय से कांग्रेस का ग्राफ गिरने का एक बड़ा कारण ग्रामीण मतदाता दबी जुबान से क्षेत्र के ओहदेदार कांग्रेसी नेताओ के जनता में नकारात्मक रसूख मानते है।
ऐसे में रामपुर कांग्रेस कुनबे का जनता के प्रति साफ छवि की कमी विक्रमादित्य की लीड को सम्मान जनक बनाने में रोड़ा अटका सकता है। रामपुर के मतदाताओं की माने तो ब्लॉक कांग्रेस एवं क्षेत्र के अधिकतर कांग्रेसी नेताओं का लोगों में रसूल ठीक ना होने के कारण प्रचार के दौरान ऐसे नेताओं का गांव-गांव जाना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है। जबकि स्वयं प्रतिभा सिंह एवं अपराजिता सिंह का अपने गृह क्षेत्र के मतदाताओं के बीच जाने का काफी लाभ हुआ है । अब माकपा का साथ इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस को क्षेत्र में मिलने के कारण कांग्रेस को क्षेत्र में हौसला जरूर मिला है। इस के अलावा कुछ वामपंथी विचारधारा के नेताओ की कांग्रेस में एंट्री के साथ रामपुर कांग्रेस की रणनीति मंडल में आने के कारण रामपुर कांग्रेस को संजीवनी मिली है। बहरहाल रामपुर विधानसभा क्षेत्र से विक्रमादित्य सिंह को रिकॉर्ड बढ़त दिलाने की रणनीति कितनी कारगर साबित होती है भविष्य के गर्व में छिपा है।क्षेत्र की राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि राज परिवार स्वयं मतदाताओं तक कितना पहुंच बना कर सीधे संवाद स्थापित करता है। यह उन्हे प्रत्यक्ष तौर से लाभ दिलाएगा।