Site icon Hindi &English Breaking News

हिमाचल सरकार ने 33 जलविद्युत परियोजना निर्माताओं से प्रभावितों को मिली करोड़ो की राशि पर मारी कुंडली

रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी—
हिमाचल प्रदेश सरकार न्यू हाइड्रो पवार पालिसी 2008 को ठेंगा दिखाते हुए 33 जल विद्युत परियोजनाओं से कुल विद्युत उत्पादन का प्रभावित लोगों के नाम मिल रही एक फीसदी राशि को लोगो में वितरित करने की बजाए दबाए बैठी है। केवल 15 जल विद्युत परियोजनाओं से मिली राशि को ही संबंधित उपायुक्तों के माध्यम से भेजा जा रहा है। यह खुलासा आरटीआई के माध्यम से इस महीने हुआ है। हिमाचल प्रदेश में अब तक छोटी बड़ी कुल 48 जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन का एक फीसदी राशि सरकार वसूल करने में सफल हुई है। लेकिन यह सारी राशि सम्बंधित क्षेत्र के पात्र और प्रभावित लोगों में अब तक पारदर्शितापूर्ण वितरण नही हो रहा है। न्यू हाइड्रो पावर पॉलिसी 2008 में प्रावधान किया गया है कि जल विद्युत परियोजना निर्माता कुल बिजली उत्पादन का 1 फ़ीसदी राशि प्रभावित क्षेत्र के लोगों में वितरण करेंगी। इतना ही नहीं इसके अलावा 1 फ़ीसदी अतिरिक्त राशि सरकार जल विद्युत परियोजनाओं से रॉयल्टी के रूप में मिल रही 12 फीसदी राशि से निकालकर संबंधित परियोजना क्षेत्र के लोगों के विकास में खर्च करेगी। लेकिन हिमाचल सरकार जल जल विद्युत परियोजनाओं से मिल रही 12% की रॉयल्टी में से 1 फ़ीसदी संबंध क्षेत्र के विकास में तो खर्च कर नहीं रही है, बल्कि परियोजनाओं से लोगों के नाम मिल रही राशि भी दबाए बैठी है। सरकार केवल 15 पावर प्रोजेक्टों का पैसा सम्बंधित ज़िलाधिशो को भेज रही है। इतना ही नही किन्नौर प्रवेश द्वार चौरा व रूपी में बनी 100 मैगावट की शोरँग जल विद्युत परियोजना से न्यू पवार पालिसी 2008 के प्रावधानों के अनुसार पैसा वसूल ही नही कर पाई है। मसलन प्रभावित क्षेत्र के लोगो को एक फीसदी राशि से वंचित रहना पड़ रहा है। नाथपा झाखडी परियोजना विस्थापित कल्याण समिति के अध्यक्ष भगत राम भारती ने जन सूचना अधिकारी एवम अतिरिक्त अधीक्षण अभियन्ता ऊर्जा निदेशालय हिमाचल सरकार शिमला 09 से मांगी सूचना में बताया हैकि हिमाचल सरकार एमपीपी एन्ड पॉवर विभाग की अधिसूचना MPP-F(1)-2/2005-V दिनांक 30 नवम्बर 2009 के तहत 48 परियोजनाओं द्वारा एक फीसदी मुफ्त बिजली से प्राप्त राशि को हिमाचल सरकार के पास जमा करवाया जा रहा है। लेकिन 15 परियोजनाओं से प्राप्त राशि को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद सम्बंधित उपायुक्तों को परियोजना प्रभावित लोगों में वितरण करने के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है। इन मे पांच पांच जल विद्युत परियोजना किन्नौर और कुल्लू में स्थापित है जबकि 3 चम्बा में और 412 मैगावट की रामपुर परियोजना से शिमला व कुल्लू को, तथा 800 मैगावट की कोल डैम से बिलासपुर, शिमला, सोलन और मंडी के परियोजना प्रभावितों को राशि दी जा रही है। दूसरी ओर शिमला ज़िला में बनी 9 , कांगड़ा में बनी 8, कुल्लू ज़िले में बनी 6, चम्बा में बनी 5, किन्नौर में बनी 3 व मंडी ज़िला में बनी 2 परियोजनाओं का एक फीसदी हिस्सा सरकार के खाते पहुँचने के बाद आगे प्रभावितों में जारी नही हो रहा। बहरहाल इस तरह समय पर प्रभावित लोगों में जो राशि वितरण नही हो रही है इस से सम्बंधित क्षेत्र के लोगो मे नाराजगी है। लोगों का कहना है की पॉवर पालिसी में स्पष्ट हैकि एक फीसदी हिस्सा बिजली तैयार करने वाला प्रभावितों को देगा । इस के अलावा परियोजनाओं से रॉयल्टी के रूप में सरकार को मिल रही 12 फीसदी से एक फीसदी सम्बंधित प्रभावित क्षेत्र के विकास में खर्च करेगी। भगत राम भारती ने 1500 मैगावट की नाथपा झाखडी से भी यह राशि प्रभावितों को दिलाने की मांग उठाई है। उन का कहना है कि उक्त मांग वे नाथपा झाखडी परियोजना निर्माण काल मे ही उठा रहे थे, इस लिए उन्हें इस परियोजना से हक मिलना चाहिए। एसजेवीएन ने सतलुज बेसिन पर बनी इस जल विद्युत परियोजना के दम पर ही मिनी रत्न का तगमा से ले कर देश विदेश में कारोबार फैलाया है लेकिन सम्बंधित परियोजना प्रभावित दर्जनों पंचायतो के लोगों का हक मारा गया है। हालांकि परियोजना निर्माता यह तर्क दे रहे है कि उन की परियोजना से बिजली उत्पादन पाल्सी अधिसूचित होने से पूर्व से हो रही है जबकि यह शर्त पाल्सी लागू होने के बाद बिजली तैयार करने वालो पर लागू है। ऐसे में जिन 15 परियोजनाओं से मिल रही राशि ज़िलाधिशो के माध्यम से प्रभावितों को भेजी जा रही है उन में 231 मैगावट की चमेरा- 3 जो चंबा ज़िला में स्थित है । सोलंग डेढ़ मेगावाट जो कुल्लू में स्थित है। सुमन सरवारी 5 मेगावाट कुल्लू । पार्वती -3 जो 520 मेगावाट कुल्लू में। रामपुर 412 मेगावाट शिमला और कुल्लू जिले में स्थापित है। अलोए दो जो 4.80 कुल्लू में स्थित है। कोलडैम 800 मेगावाट जो बिलासपुर, शिमला, सोलन और मंडी में पड़ता है। कुरथा 5 मेगावाट जो चंबा में स्थित है। ब्रुआ 9 मेगावाट जो किन्नौर में है। सैज 100 मेगावाट जो कुल्लू में है । तंगलिंग जो 5 मेगावाट किन्नौर में है। शौंग जो 3 मेगावाट किन्नौर में है। काशंग 65 मेगावाट जो किन्नौर में है। रुकती- दो जो 5 मेगावाट किन्नौर में है। सेच 0.90 मेगावाट चंबा में स्थित है। इस के अलावा जिन 33 परियोजनाओं से सरकार पैसा तो एक फीसदी वसूल रही लेकिन पात्र लोगो तक नही पहुँचा रही। उन में बिनवा -4 जो चार मेगावाट की कांगड़ा ज़िला में स्थापित है। बनेर संगम 5 मेगावाट कांगड़ा में । चन्जू-एक जो 36 मेगा वाट चंबा में है । लोअर अलेओ 2.50 मेगा वाट कुल्लू में है1 सरबारी -दो , 5.40 मेगावाट कुल्लू में। मनुनी 3:50 मेगावाट कांगड़ा। हरिपुर नाला 3 मेगावाट कुल्लू। बरहाल टॉप 5 मेगावाट कांगड़ा। अप्पर नंती 13.50 मेगावाट शिमला जिला। सरवारी -3 जो 2 मेगावाट कुल्लू में। बारगा 9 मेगावाट कुल्लू । बहना 5 मेगावाट मंडी ज़िला। गज टॉप 3.80 मेगावाट कांगड़ा। लिओनड 2 मेगावाट कांगड़ा। कोटगढ़ 3.50 मेगावाट शिमला जिला। कूट 24 मेगावाट शिमला जिला। ज्यूरी 9.60 मेगावाट शिमला जिला। किउनर 5 मेगावाट चंबा। सेरिया 2 मेगावाट कुल्लू। रौरा 12 मेगावाट किन्नौर ज़िला में। शिमला 5 मेगावाट शिमला। जोगनी -दो जो 5 मेगावाट शिमला ज़िला में । नेयोगल -दो 4.7 मैगावट जो कांगड़ा। गुरहन डेढ़ मेगावाट मंडी। गज -3 जो 5 मेगावाट कांगड़ा । कुँवर्सी- दो जो 15 मेगावाट चंबा में । सलून 9 मेगावाट चंबा। सावरा कुंडू 111 मेगावाट शिमला जिला। राला 13 मेगावाट किन्नौर। वांगगरंग होमते 24.06 मैगावट किन्नौर। हासरुण्ड 3 मेगावाट चंबा। नंती 14 मेगावाट शिमला। जोगिनी 16 मेगावाट शिमला ज़िला में स्थापित है। किसान नेता बिहारी सेवगी ने बताया कि वे इस हक को दिलाने के लिए लंबे समय तक किसानों मज़दूरों को एक कर संघर्ष करते रहे लेकिन अफसोस अब इन पैसे पर हिमाचल सरकार ने कुंडली मारी है। सरकार को तुरन्त पॉवर पालिसी के अनुसार 12 फीसदी रॉयल्टी से भी लोगों के विकास के हिस्से का एक फीसदी उन के क्षेत्र में खर्च करना चाहिए।

Exit mobile version