Site icon Hindi &English Breaking News

हिमाचल में सेब उत्पादन का नया खाका: शिमला नंबर वन, ऊना सबसे पीछे

शिमला। विशेषर नेगी।

हिमाचल प्रदेश, जिसे भारत का “एप्पल स्टेट” कहा जाता है, एक बार फिर अपने सेब उत्पादन के लिए चर्चा में है। बागवानी विभाग के ताज़ा आकलन के अनुसार, मई 2025 के अंत तक के आंकड़ों पर आधारित प्रारंभिक अनुमान में शिमला जिला सेब उत्पादन में सबसे आगे है जबकि मैदानी जिला ऊना सबसे पीछे।

🍎 शिमला: 2.53 करोड़ पेटियों का अनुमान

राज्य का सबसे बड़ा सेब उत्पादक जिला शिमला है, जहां का मौसम, ऊंचाई और मिट्टी की संरचना सेब के लिए आदर्श मानी जाती है। यहां के कोटगढ़, जुब्बल, कोटखाई, नारकंडा, रोहड़ू और चौपाल जैसे क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था में सेब के जरिए अहम योगदान देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यहां इस बार 2.53 करोड़ पेटियों के करीब सेब उत्पादन होने की संभावना है।

📊 अन्य जिलों में अनुमानित उत्पादन:

अनुमानित सेब उत्पादन - हिमाचल प्रदेश (मई 2025 तक)

जिला              | अनुमानित उत्पादन (पेटियों में)
------------------|------------------------------
शिमला             | 2,53,00,000
कुल्लू             | 70,75,000
किन्नौर            | 41,52,000
मंडी               | 28,58,000
चंबा               | 6,16,000
सिरमौर             | 3,19,000
लाहौल-स्पीति      | 63,000
कांगड़ा            | 24,000
सोलन              | 9,000
बिलासपुर          | 1,800
हमीरपुर           | 300
ऊना               | 100

🌿 जलवायु और उत्पादन का संबंध

इस वर्ष सर्दियों में पर्याप्त बर्फबारी और वसंत में अनुकूल मौसम ने सेब की फूलबारी और फल बनने की प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक उत्पादन आंकड़े जून महीने के अंत तक सामने आएंगे, जब फलों की गुणवत्ता, आकार और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों का आंकलन किया जाएगा।

🚚 बदलते रुझान और चुनौतियाँ

हाल के वर्षों में हिमाचल के बागवानों ने पारंपरिक किस्मों के स्थान पर सुपर हाई-डेंसिटी प्लांटेशन और कम अवधि में फल देने वाली किस्मों को प्राथमिकता दी है। इससे उत्पादन में तेजी आई है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, बेमौसमी वर्षा और कीट प्रकोप अब भी सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

📈 आर्थिक दृष्टिकोण सेब का महत्व

सेब का हिमाचल की आर्थिकी में हिस्सा 4000 करोड़ रुपये से अधिक का है। राज्य की लगभग 1.75 लाख बागवानी परिवारों की आजीविका सेब पर निर्भर है। वहीं, इसके परिवहन, कोल्ड स्टोरेज, मार्केटिंग और श्रमिक रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी यह बड़ा योगदान देता है।


विशेषज्ञ राय:

डॉ. एस.के. वर्मा (बागवानी विशेषज्ञ) के अनुसार,

“मई तक का अनुमान उत्साहजनक है, लेकिन अंतिम उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है — जैसे जून-जुलाई की बारिश, ओलावृष्टि और बागवानी प्रबंधन की स्थिति। यदि इन पर नियंत्रण बना रहा तो 2025 ऐतिहासिक सेब सीजन साबित हो सकता है।”


📌 नोट:

प्रदेश सरकार ने इस साल सेब सीजन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एडवांस ट्रांसपोर्ट योजना, मंडी मूल्य नियंत्रण, और e-Market सुविधा को विस्तार देने का निर्णय लिया है, ताकि बागवानों को लाभकारी मूल्य मिल सके।


Exit mobile version