नाहन। न्यूज़ व्यूज पोस्ट—हिमाचल के आजाद हिन्द फौज के जीवित बचे अंतिम स्वतंत्रता सेनानी हीरा सिंह ठाकुर ने 96 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए हैं। उनका देहांत शनिवार सुबह उनके पैतृक गांव शोटी में हुआ। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1926 को पच्छाद उपमंडल की शडिया पंचायत के शोटी गांव में हुआ था। उम्र के इस पड़ाव में भी वह पूरी तरह तंदुरुस्त थे। पोते धीरज के अनुसार 2 दिन पहले उन्हें बुखार हुआ था जिसकी दवा भी उन्होंने ली थी, लेकिन सुबह अचानक उनका देहांत हो गया।
प्रदेश के अंतिम फ़ीडम फाइटर की जिला प्रशासन ने पूरे मान सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा के प्रबंध किए थे। उपायुक्त राम कुमार गौतम ने इसे दुःखद घटना करार देते हुए कहा कि प्रशासन ने दिवंगत की अंतिम यात्रा की रस्म को पूरे मान सम्मान के साथ पूरी की । उल्लेखनीय हैकि हीरा सिंह ठाकुर मई, 1942 को आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे। बतौर हवलदार उन्होंने सिंगापुर, वर्मा, नागालैंड व आसाम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी के संग्राम में बढ़चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने 2 साल दिल्ली लाल किला तथा अटक में कारावास भी भोगा। हीरा सिंह ठाकुर मिलनसार और सामाजिक व्यक्ति थे।
वे लोकतंत्र में इस कदर आस्था रखते थे कि परिस्थिति चाहे कोई भी हो वह मतदान अवश्य करते थे। वह कहा करते थे कि जो आजादी हमें मिली है वह इतनी आसान नहीं थी ना जाने कितने दिन भूखे और कितने दिनों देश और विदेश में खतरनाक जंगलों की खाक छानते हुए अंग्रेजों को ललकारा करते थे। आज उनके किस्से इतिहास बनकर रह गए हैं।
परिवार की मानें तो उनका ये सपना था कि स्वतंत्र भारत में ही अंतिम सांस लूं। बता दें कि परिवार में दो बेटे व पोते-पोतियां हैं। परिवार के हरेक सदस्य को देशभक्ति का अटूट पाठ अक्सर पढ़ाया करते थे।