Site icon Hindi &English Breaking News

हिमाचल किसान सभा ने किया प्रदर्श

रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट—–सीटू व हिमाचल किसान सभा ने संयुक्त रूप से केंद्रीय कमेटी आह्वान पर आज केंद्र की भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार द्वारा पेश किये गये किसान,मजदूर, खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण और शहरी गरीबों सहित आम जनता विरोधी 2022-23 का केंद्रीय बजट के खिलाफ नीरथ, रामपुर, झकडी, बायल, दत्तनगर आदि स्थानों पर प्रदर्शन किया

प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी व रंजीत ठाकुर, दुग्ध उत्पादक संघ के अध्यक्ष दिनेश मेहता, कपिल, मोहर सिंह, नील दत्त, राजेश , नरेन्द्र देष्टा, योगेंद्र ने कहा कि बजट 2021- 22 न केवल देश के किसान,मजदूर, खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण और शहरी गरीबों सहित आम जनता के सभी हिस्सों की पूरी तरह से उपेक्षा करता है बल्कि इस केन्द्रीय-बजट से ऐसा लगता है कि जैसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने देशी विदेशी कार्पोरेट्स आकाओं के इशारे पर देश के किसानों-मजदूरों से प्रतिशोध लेने पर तुली हुई है।

बजट पूरी तरह से कार्पोरेट परस्त होने के साथ ही किसानों-मजदूरों और आम जनता की जरूरतों के प्रति पूरी तरह से हमला करने वाला है।

बजट में फसलों की खरीद ,खाद्य सुरक्षा, उर्वरक और मनरेगा आदि के बजट राशि में भारी कटौती से सरकार की मंशा पूरी तरह से स्पष्ट हो रही है।

यह बजट मेंं भयंकर रूप से बढ़ती बेरोजगारी के , जनता की कमाई मेंं हो रही कमी, बढ़ती ग़रीबी और सुनियोजित रूप से बढ़ाई जा रही महंगाई के कारण देश की बहुसंख्यक आबादी को जकड़ती जा रही भुखमरी जैसी गंभीर समस्याओं के प्रति सरकार की अनदेखी और क्रूर असंवेदनशीलता को प्रकट करता है।

हर आने वाले बजट और सरकार की नीतियों द्वारा चंद मुट्ठी भर बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा देश की सारी संपत्ति को लूटने के लिये रास्ता साफ किया जा रहा है।
अमीर और गरीब के बीच भयंकर असमानता निरंतर बढ़ती जा रही है।

देश के बुनियादी ढाँचे , विनिर्माण और खनिज संपदा को पूरी तरह बेच देने की सरकार की विनाशकारी कोशिशों और सभी क्षेत्रों में सम्पूर्ण निजीकरण करने के अभियान की पृष्ठभूमि में बजट प्रस्तुत किया गया है।

सभी राष्ट्रीय सम्पत्तियों व संसाधनों को देशी-विदेशी निजी हाथों में सौंप कर लूटने की छूट दी जा रही है।

बजट के द्वारा किसानों मजदूरों सहित आम जनता के सभी हिस्सों पर हमला किया गया है

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद के लिए 2021-22 मेंं कुल 474750.47 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) का आवंटन था जो कि इस बार घटाकर 370303 करोड़ रुपये कर दिया है। इसमें एक लाख करोड़ से अधिक की कटौती की गई है।

ग्रामीण विकास के लिए बजट में हिस्सेदारी को 5.59 फीसदी से घटकर 5.23 प्रतिशत तक कर दिया गया है।

Exit mobile version