स्वराज सत्याग्रह यात्रा: UCC यानी यूनिफार्म सिविल कोड: आजकल भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड का डंडोरा पीट रहे हैं
उन्हें पता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या होता है? क्या वे खुद इसे मानने को तैयार होंगे। डॉ अशोक कुमार सोमल
स्वराज सत्याग्रही व पर्यावरण प्रेमी ने यहां से जारी बयान में बताया संविधान
सिविल कोड में जन्म से लेकर मृत्यु और भूमि के साथ संपति के बारे यूनिफॉर्म कोड बनेगा। जन्म के समय पुरुष स्त्री एक समान होंगे उनकी परवरिश पढ़ाई एक सी होगी। स्कूल एक से होंगे। शादी के समय लड़का लड़की अपनी मर्जी से विवाह बंधन में बंधेंगे कोई जाति का या धर्म का सवाल नहीं होगा। शादी कोर्ट में या धार्मिक संस्थान में होगी। और इसमें ज्यादा धूम धड़का नहीं होगा। केवल परिवार और सगे संबंधी ही समारोह में शरीक होंगे। और फंक्शन दो चार घंटे का ही होगा। मुकेश अंबानी की तरह हजारों करोड़ खर्च नहीं किए जाएंगे। खर्च करने की लिमिट होगी। संपत्ति में बेटा बेटी का बराबर अधिकार होगा साथ में संपत्ति की भी लिमिट तह होगी। हर परिवार एक घर ही बना पाएगा। और व्यवसायिक परिसर का भी लिमिट तह होगी। मृत्यु पर भी सामान्य तरीका ही अपनाया जाएगा। यानी एक जगह ही अंत्येष्टि की जाएगी और बाद में भी सिंपल तरीके से शोक सभा की जाएगी। मृत्यु भोज का भी प्रचलन बंद होगा। दूसरे धार्मिक अनुष्ठान पर बंदिश होगी। कोई बहुत बड़ा जलूस बग़ैरा निकालने की इजाजत नहीं होगी। किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में छोर छाराबा की इजाजत नहीं होगी। धार्मिक कार्यक्रम सभी के निजी ही होंगे। किसी को बहुत बड़े बड़े समागम करने की इजाजत नहीं होगी। इसी प्रकार चुनावों में भी बड़ी रैलियां धूम धड़का छोर छाराबा नहीं होगा। केवल प्रत्याशी और उसके साथ दो चार लोग ही प्रचार में जा पाएंगे। एक सभ्य ढंग से ही सभी कार्यक्रम किए जाएंगे। कानून का सभी आदर करेंगे।
क्या यह सबको मान्य है। हिमाचल प्रदेश में अभी दो चार दिन पहले पूर्व मुख्य मंत्री और विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर का बयान था कि भाजपा की सरकार हिमाचल में होती तो यूसीसी यहां लागू किया जाना था। उनसे हमारी गुजारिश है कि वे खुले मंच से इस पर बहस करे। भाजपा संघ सोचती है कि वे अपने हिसाब से कोड तैयार करेंगे और फिर लोगों पर थोपेंगे। ऐसा लोकतंत्र में संभव नहीं होता है। वास्तव में भाजपा मनुस्मृति को ही यूनिफॉर्म कोड मानते है और इनकी मंशा भी यही है। लोगों को भ्रमित करना और सत्ता के लिए धार्मिक भावनाएं भटकना इनका मुख्य उद्देश्य है। इससे ज्यादा इन्हें किसी भी कोड की कोई परवाह नहीं है। चुनाव आचार संहिता बनी है वैसे यह संहिता केवल सत्ता में काबिज दलों की सहमति से बनी है। पर इसको कोई भी सही मायने में लागू नहीं करता है। उदाहरण के लिए देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ही सबसे ज्यादा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते है और चुनाव आयोग में क्योंकि अपने ही लोग बिठाए हैं तो फिर सब कुछ माफ है या जीतने के लिए सुलभ किया जाता है। हकीकत यही है।
संविधान को हर नागरिक सही रूप में माने और यह सुनिश्चित करे कि उसके किसी भी क्रियाकलाप से दूसरे को कोई दिक्कत न हो। यही सच्चा भारतवासियों के लिए सिविल कोड है।