Site icon Hindi &English Breaking News

सूखे और तूफान ने बिगड़ा प्लम उत्पादकों का खेल

रामपुर बुशहर / विशेषर नेगी

हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में इन दिनों प्लम सीजन जोरो पर।  इन
दिनों  मंडी में  बिक रहा 250 से 700 रूपये प्रति पेटी प्लम।  सूखे की
मार  व प्रतिकूल मौसम के कारण  प्लम  का नहीं बन पाया  आशानुरूप साइज ।
ऊपर से प्लम की तैयार फसल पर पड़ी आंधी तूफ़ान की मार।-  हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र के सतलुज घाटी क्षेत्र में  इन
दिनों प्लम तुडवान  का कार्य जोरो पर चला है। इस बार प्लम बागवानों को
फसल ठीक न होने से आशानुरूप दाम भी नहीं मिल रहे है।  प्लम  की फसल कम
होने से इस कारोबार से जुड़े लोगो को भी नुक्सान हुआ है। हिमाचल प्रदेश
में करीब बारह हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्लम की खेती की जाती है।  बीते
वर्ष प्लम  की पैदावार ग्यारह हजार मीट्रिक टन  के आसपास रहा।  लेकिन इस
बार काफी कम रहने की उम्मीद है।  लोगो का कहना हैकि  इस बार सूखा पड़ने
के कारण प्लम  का साइज  छोटा रह गया , जो बड़ा साइज था भी वो आंधी तूफ़ान
के कारण सारा झड़ गया।  । प्लम का साइज छोटा होने से मंडी में प्लम के दाम
आशानुरूप नहीं मिल रहे है।  प्लम कारोबार से जुड़े लोगो का कहना हैकि पांच
, छह किलो की पेटी   स्माल साइज मंडी में  करीब अढ़ाई सौ रूपये में बिक
रहा है जब की लार्ज सात सौ रूपये तक।

प्लम सीजन में करसोग से  मजदूरी करने आए बूटा राम ने बताया  इस
बार बारिश ना होने के कारण प्लम  का साइज नहीं बन पाया और लार्ज बहुत कम
निकल रहा है। आजकल  प्लम लार्ज पेटी  ₹700   तक है।  जो स्माल है वह काफी
कम दरों में जा रहा है।  तूफ़ान से सारा प्लम झड़ गया है।

   मोहम्मद शादाब ने बताया कि वह स्कूल में पढ़ता है, इन दिनों
स्कूलों में छुट्टी के चलते वह  प्लम सीजन में पैसे कमाने सहारनपुर से
रामपुर आए हैं।  ताकि स्कूल का  खर्चा चलाने में मदद मिले।  मोहम्मद नदीम ने बताया कि वह सहारनपुर के रहने वाले हैं ,वह
करीब 15 सालों से प्लम  का काम कर रहे हैं। इस बार अधिक तूफान के कारण
प्लम  की फसल  झड़  गई और कम रह गई।  सूखे के कारण प्लम पहले ही अंडरसाइज
रह गया है।  इससे प्लम फल उत्पादकों को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने
बताया कि 5 किलो की पेटी ढाई सौ से 3 सौ में मंडी में बिक  रही है. मोहम्मद शाहरुख ने बताया वह सहारनपुर से  प्लम सीजन लगाने रामपुर
इलाके में आये है।   बारिश की कमी से सूखा पड़ा है। जिससे प्लम का साइज
नहीं बन पाया है।

-पूर्ण चंद ने बताया वे करसोग से प्लम सीजन लगाने आये है।  आजकल
प्लम तुड़ान का कार्य जोरो प्र चला है।  लेकिन इस बार पलम  की फसल काफी कम
है

Exit mobile version