रामपुर बुशहर / विशेषर नेगी
-शिमला जिला के रामपुर उपमंडल के नोगली में इष्ट देवताओं से
गर्मी से निजात पाने के लिए बरसात की मांग को ले कर आयोजित किया गया
उत्सव। इस तीन दिवसीय ज़िला स्तरीय उत्सव में पहुंचे आस पास के इलाकों से
देवी देवता। मान्यता हैकि मेले की समाप्ति के साथ शुरू होती है बरसात।
मेले के दौरान बरसात आगमन की ख़ुशी में देव वाद्य यंत्रों की धूनों में
लोग करते है खूब नाच गाना।
-भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए स्थानीय देवताओ की मौजूदगी
में बरसात की मांग को लेकर शिमला जिला के नोगली में मेले का आयोजन
किया गया। इस तीन दिवसीय जिला स्तरीय मेले में आसपास के इलाकों से देवी
देवता नोगली पहुंचे। तीन दिनों तक देव वाद्य यंत्रो की धुनों में बरसात
आगमन की ख़ुशी में लोग खूब नाच गान करते है। मान्यता है कि नोगली के
समीप कुमसु गाँव के देवता प्रचंड गर्मी से लोगो को निजात दिलाने के
लिए क्षेत्र के दौरे पर निकलते हैं। जिसे ही आखरी गांव पहुंचते है
बरसात का आगाज शुरू होता है। इसी लिए ग्रामीण लोग नोगली पहुँच कर
खूब नाच गान करते हैं। देव वाद्य यंत्रों की धुनों में 3 दिनों तक मेला
चलता है और उसके बाद गांव के लोग वापिस जा कर बीज बिजाई का कार्य आरंभ
कर लेते है।
कृष्ण गोपाल प्रधान जिला स्तरीय नेता कमेटी ने बताया कि मेला
मनाने का मकसद जैसे ही इलाके में सूखा पड़ता है ,और मान्यता है की
सूखा और प्रचंड गर्मी पड़ने के कारण फसलों की बिजाई रुक जाती है। इसलिए
लोग अपने इष्ट ग्रामीण देवता को ले कर इलाके के भ्रमण पर निकालते
हैं । दौरा समाप्ति के साथ ही नोगली नामक स्थान में मेला लगता है।रीता वर्मा ने बताया कि आसपास के इलाकों से महिलाएं मेला मनाने
के लिए आए हैं। क्योंकि नोगली मेला बरसात आगमन का एक प्रतीक है, और इस
खुशी में लोग अपने इष्टो की मौजूदगी में खूब नाच गान करते हैं। उसके
बाद लोग गांव में जा कर खेतों में बिजाई का काम शुरू करेंगे।इंदु बाला ने बताया नोगली में तीन दिन तक खूब मेला लगता है।
आखिरी दिन देवी देवताओं की विदाई होती है और बारिश का दौर भी शुरू होता
है।
अनु गोस्वामी ने बताया कि वह अपने इष्ट योगेश्वर महाराज
देवता को यहां लेकर आए हैं। मेले में आसपास के इलाकों से अन्य देवी
देवता भी आए है। लोग खूब नाच गान कर आनंद करते हैं। मान्यता हैकि
देवी देवताओ के नोगली आगमन पर मेला लगता है और बरसात की भी शुआत हो जाती
है।-शिंगला देखता पुजारी ने बताया देव परंपरा के अनुसार नोगली का
मेला जब गर्मी का प्रकोप अधिक हो जाता है तो आस पास के इलाको के लोग
अपने इष्ट देवताओ को ले कर पहुँचते है। मेले की समाप्ति के साथ
कुदरती बारिश भी शुरू हो जाती है।
