रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।
एंकर अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले से पूर्व आयोजित किया जाने वाला अश्व मेला घुड़दौड़ प्रतियोगिता के साथ संपन्न। 400 एवं 800 मीटर घुड़ दौड़ में सराहन के सतीश प्रथम रहे। जबकि गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता में जम्मू कश्मीर किश्तवाड़ के समीर ने मारी बाजी। इस दौरान बेहतर अश्वपालन करने वाले पशुपालकों को रामपुर के विधायक नंद लाल के माध्यम से किया गया पुरस्कृत।
भारत तिब्बत व्यापारिक संबंधों के प्रतीक अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले से पूर्व पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश की ओर से हर वर्ष अश्व प्रदर्शनी एवं मेले का आयोजन किया जाता है। जिस में करोड़ों का अश्व व्यापार होता है। इस बार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से 363 अश्व मेला मैदान में पहुंचे थे और सब से महंगा घोड़ा अस्सी हजार में बिका। मेला विधिवत 4 नवंबर से शुरू हो कर बीती शाम सम्मान हुआ। अश्व प्रदर्शनी एवं घुड़ दौड़ प्रतियोगिता के आयोजन का मकसद पहाड़ी इलाकों में तिब्बती नस्ल के चौमुर्थी अश्व पालन के प्रति लोगो को आकर्षित करना है। अश्व मेले का विधिवत समापन गुब्बारा फोड़ एवं घुड़दौड़ प्रतियोगिता के साथ हुआ। गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता में जम्मू कश्मीर किश्तवाड़ डोडा के समीर ने बाजी मारी, जबकि चार और आठ सौ मीटर घुड़दौड़ प्रतियोगिता में सराहन के सतीश कुमार प्रथम आए। पिछले पांच वर्षो से घुड़दौड़ में बाजी मारते आए सुरड बांग्ला रामपुर के धर्मपाल दूसरे स्थान पर रहे। समारोह में मुख्य अतिथि रामपुर के विधायक नंदलाल ने विजेताओं को पुरस्कार बांटे ।उन्होंने इस दौरान घुड़दौड़ प्रतियोगिता देखने आए लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले का इतिहास काफी पुराना है । यह भारत तिब्बत व्यापारिक संबंधों के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा पूर्व में इस व्यापारिक मेले में अफगानिस्तान ,तिब्बत आदि से भी अश्व लाए जाते थे। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक ने बताया कि अश्व मेले के आयोजन का मकसद चौमुर्थी नस्ल के घोड़ों को संरक्षित करना है और लोगो को इस के प्रति आकर्षित करना है।ताकि लोग इसे अपना व्यवसाय के रूप में अपनाते हुए आगे बड़े। उन्होंने बताया इस दौरान अच्छे पशुपालक व अच्छी नस्ल के पशु रखने वालों को भी नगद इनाम दिया गया
घुड़ दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम वाले सराहन निवासी सतीश नेगी ने बताया प्रतियोगिता काफी मुश्किल थी, लेकिन वे इस बात से खुश है कि इस बार इस प्रतियोगिता को जीतने में वे सफल हुए। उन्होंने बताया दौड़ के लिए घोड़े को काफी ट्रेनिंग देनी पड़ती है।
जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ डोडा से आए समीर ने बताया कि इस बार रेस का शौक आया था, इसलिए उन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उन्होंने गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता जीती लेकिन रेस में आगे निकल नहीं पाए। फिर भी वे खुश है।
घुड़दौड़ प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर आने वाले धर्मपाल ने बताया कि पिछले 6 सालो में घुड़दौड़ प्रतियोगिता में उन का घोड़ा ही प्रथम आता रहा। उन्होंने घोड़ा बेच दिया था क्योंकि प्रतियोगिता में इनामी राशि कम थी। लेकिन इस बार राशि बढ़ा दी तो उन्होंने दूसरा घोड़ा खरीद अभ्यास शुरू किया। लेकिन इस बार वे दूसरे नंबर पर है। क्योंकि उनका घोड़ा अभी काफी छोटा है