रामपुर बुशहर । विशेषर नेगी …..जैविक एवम पोषक तत्वों से युक्त स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार
उत्पादो की बाजार में बढ़ने लगी मांग। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
के सहयोग से स्थापित हिम इरा विक्रय केंद्र विभिन्न स्वयं सहायता समूहों
द्वारा तैयार प्रोडेक्ट की मार्किटिंग का बना सशक्त माध्यम। हजारो
महिलाये इन केंद्रों के माध्यम से घरेलू उत्पादों की बिक्री कर कमा
रही है अच्छा पैसा। स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार ग्रामीण उत्पादों की
गुणवत्ता व पौष्टिकता को देखते हुए ऊपरी क्षेत्र के बाजारो में तेजी
से मांग बढ़ रही है । इससे जहां लोगों को केमिकल फ्री पोस्टिक खाद्य
पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं वही ग्रामीण दूरदराज की महिलाओं को
स्वरोजगार अच्छा विकल्प मिला है। शिमला जिला के रामपुर खंड के तहत 36
पंचायतों में 350 से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है।
जिसमें करीब 3000 महिलाएं जुड़ चुकी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
के तहत महिलाओ को पहले प्रशिक्षित कर उन के उत्पादों को हिम इरा विक्रय
केन्द्रो के माध्यम से बेचने की व्यवस्था की गई है। ऐसे विक्रय केंद्रों
में जैविक एवं विभिन्न विलुप्त प्राय फसलों से संबंधित प्रोडेक्ट को
बाजार में लाया जा रहा है। जिन्हे लोग खूब पसंद कर रहे है। हिम इरा विक्रय केंद्र रामपुर की संचालिका भरत कुमारी ने
बताया रामपुर विकासखंड की 36 पंचायतों में साढ़े तीन सौ स्वयं सहायता
समूह है , जिसमें लगभग 3000 महिलाएं इससे जुड़ी है। राष्ट्रीय ग्रामीण
आजीविका मिशन के तहत उन्हें पहले उत्पादों को तैयार करने का प्रशिक्षण
दिया गया और उन्हें प्रोत्साहित किया गया कि स्वयं सहायता समूह के
माध्यम से उत्पादों को तैयार कर आर्थिकी मजबूत कर सकते है। उस के बाद
पहले विक्रय के लिए कोई मजबूत आधार नहीं होने के कारण उन्हें जरूर
दिक्कतें होती थी , अब राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विक्रय
केंद्रों को स्थापित कर महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया गया है। जिसमें
विभिन्न उत्पाद जैसे मक्की का आटा, कोदे का आटा ,उगले का आटा, सत्तू
एड्राई वेजिटेबल, जैम, जूस चटनी और कई विभिन्न प्रकार के सामान तैयार कर
रहे है। और यह सभी उत्पाद जैविक तरीके से तैयार किए गए हैं।स्वयंसहायता समूह से जुडी दोफ्दा पंचायत की सुषमा देवी ने बताया
उनकी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी औरतें आजकल बुरांस के फूलों को
एकत्रित करते हैं और उसके बाद उन फूलों का जूस बना रहे हैं। बुरास
के फूलो का जूस गर्मियों में एक औषधि के रूप में भी काम आता है।
डंसा पंचायत की स्वयमसाहयता जुडी रंजना शर्मा ने बताया उन्हें
खंड कार्यालय के माध्यम से समूह गठन के बारे में जानकारी मिली और उसके
बाद उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिये गए। उन्होंने पुराने जो
विलुप्त प्राय उत्पाद है उन्हें बचाने के साथ.साथ बाजार में उतारने का
प्रयास किया। जौ , गेहूं , कोदा ,बअचार , चटनी को तैयारकरने के बाद हिम इरा
शॉप रामपुर में लाकर बिक्री करने का कार्य शुरू किया है। वर्तमान में
उनके उत्पादों की मांग बढ़ने लगी है। महिलाओं की भी आमदनी भी बढ़
गई है और महिलाओं को रोजगार के द्वार खुल गए। इससे गांव की महिलाएं
जागरूक हुई। विद्यानंद शर्मा ने बताया कि गांव की महिलाओ द्वारा तैयार
उत्पादों को लेने हिम इरा विक्रय केंद्र में आते हैं। महिलाएं विभिन्न
घरेलू उत्पादों को लेकर आती है और यह उत्पाद जैविक होने के साथ
फायदेमंद भी है।

