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रामपुर कांग्रेस के ओहदों से चिपके नेताओ की फेवीक्विक हटाने की मांग

रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट–हिमाचल कांग्रेस प्रमुख के घर में कांग्रेस के एक धड़े की संगठन और स्थानीय प्रतिनिधित्व के प्रति हुंकार रामपुर जैसे कांग्रेस के परंपरागत सीट को बट्टा लगा सकता है। आरोप और विरोध की जड़ इस आरक्षित विधानसभा हलके से 28 फीसदी समुदाय को नजरअंदाज कर 2 फ़ीसदी समुदाय से जुड़े व्यक्ति को 15 वर्षों से प्रतिनिधित्व देने पर भी रोष जताया है। हालांकि फिलहाल यह विरोध विधायक के नाम पर ठीकरा फोड़कर किया जा रहा है। लेकिन अंदर खाते विरोध की चिंगारी रामपुर कांग्रेस के करण धारों कि और भी उठ सकती है। बताया जा रहा है कि रामपुर कांग्रेस में कुछ परंपरागत लोग ही संगठन के पदों पर कुंडली मार बैठे है। जबकि आम कार्यकर्ता की हैसियत केवल बोट मशीन तक ही रखी गई है। ऐसे में संगठन के किसी भी विभाग की बात क्यो न ना हो कुछ लोगों का ही हमेशा से दबदबा बना रहता है । ऐसे में निष्ठावान कार्यकर्ता केवल भीड़ का हिस्सा और मुसीबत में वोट बैंक के तौर पर प्रयोग होता रहा है। यह दीगर हैकि पूर्व में हिमाचल के वरिष्ठ एवं हिमाचल कांग्रेस के कर्णधार माने जाने वाले स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के होते हुए उनके आगे विरोध का गुबार बाहर निकलना काफी मुश्किलों भरा रहता था।। लेकिन उनके चले जाने के बाद अब अंदर की तपिश लावा बनकर फूटने लगा है। तर्क है कि रामपुर कांग्रेस के निष्ठावान व हर समय कांग्रेस का झंडा उठाकर चलने वाले लोगों को भी अब थर्ड लाइन से पहले पायदान में ला कर मांन सम्मान देना होगा। अब कांग्रेस के सभी संगठनों को तराशने की जरूरत है। ऐसा ना हो कि कुछ कांग्रेसी शुरू से अंत तक संगठन के ओहदों पर कुंडली मारकर अपना अधिकार समझ बैठे रहे और आम कार्यकर्ता चुनाव से लेकर मुसीबत में पार्टी का झंडा उठाकर पसीना बहाते रहे। निष्ठावान कार्यकर्ता जो अभी संगठन की गतिविधियों को दूर से देख रहे है का मानना है लोगों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है। इस अवसरवादी व्यवस्था और रिवाज में आखिर कब तक रेल डिब्बा बन कर पीछे चलते रहे। ऐसे में समय रहते रामपुर ब्लॉक कांग्रेस के सभी संगठनों ओवरहालिंग की पहल हो ।ताकि आम कार्यकर्ता को आगे ला कर मनोबल बढ़ाये व लंबे समय तक कांग्रेस के विभिन्न विभागों में ओहदों से चिपके लोगो का फेवीक्विक निकाल रिटायरमेंट की राख दिखा कर मार्गदर्शक मंडली में सुशोबित किया जाए। अन्यथा रामपुर बुशहर की 45 वर्षों से सहेज कर रखी गई साख को 45 दिन में बदलते समय नही लगेगा।

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