रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट—-
रामपुर कांग्रेस में अंदर खाते पनप रहे विरोध के स्वर आगामी विधानसभा चुनाव तक विस्फोटक बन सकते हैं। राजनीतिक चाणक्य भी टिकट के चाहवानो को मंदिरों तक पहुंचा कर कसमें खिला चुके है ताकि वे पीछे न हट सके। वैसे भी लंबे समय से आरक्षित वर्ग का एक कुनबा घुटन महसूस कर रहा था और विधायक से भी नाराजगी जताते हुए परदे से बाहर आ गया था। अब फिर से अपनी आवाज को बुलंद करने का प्रयास इस वर्ग द्वारा किया जा रहा है जिस में कांग्रेस विचारधारा के अन्य समुदाय के लोगों का भी बर्दस्त होना बताया जा रहा है। हालांकि कुछ समय पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा प्रतिभा सिंह ने अपने गृह क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुटता का पाठ पढ़ाया था। और टिकट के चहवानो को भी पार्टी की मंशा से रु ब रूह करते हुए एक मंजे हुए नेता का परिचय दिया। ऐसे में उस के बाद कुछ समय के लिए शांति छाई रही, लेकिन ब्लाक कांग्रेस ने कांग्रेस अध्यक्षा की खिंची लाईन को आगे बढाने की बजाए शिकवे वाले कुनबे को तवज्जो नही दिया। ऐसे में प्रतिभा द्वारा बुझाई आग फिर सुलगने लगी और रणनीति के तहत ननखड़ी के गाहन में फिर अपनी पीड़ा को जग जाहिर करते हुए विरोध का बिगुल बजा दिया। इतना ही नही रणनीति के तहत अलग-अलग स्थानों पर आने वाले समय मे कम से कम तीन स्थानों पर विरोध की चिंगारी सुलगने की उम्मीद है। सूत्र बताते है कि टिकट के चाहवानो को विरोधी गुट के चाणक्य मंदिरों में चुनाव लड़ने की कसमें भी खिला चुके है। बहरहाल निष्ठावान कांग्रेसी इस बात से चिंतित है कि कांग्रेस के स्तंभ रहे राजा वीरभद्र सिंह के जाने के बाद रामपुर में कांग्रेस की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है। उन का मानना हैकि इसका एक कारण रामपुर कांग्रेस कुनबे में ऐसे लोगों का आगे आना है जिनका पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत लक्ष्य रहता है। इसी कारण अनुसूचित जाति वर्ग भी अपनी आवाज को अब दबाने की स्थिति में नहीं है । यहां तक की पार्टी के अन्य वर्गों के कई लोग भी अंदर खाते अब रामपुर ब्लॉक कांग्रेस की टीम से खफा हुए हैं। लंबे समय तक रामपुर कांग्रेस को संजीवनी देने वाले कई वरिष्ठ लोगों का कहना है कि ब्लॉक कांग्रेस की टीम को समय रहते न तराशा गया तो कांग्रेस की परंपरागत सीट व राज परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है। उनका मानना है कि रामपुर कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए सभी वर्गों और निष्ठावान एवम समर्पित कार्यकर्ताओ को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए और इसके साथ-साथ ऐसे लोगों को संगठन में ज्यादा तवज्जो ना दिया जाए जो पार्टी को सींचने में मादा नहीं रखते। मसलन दूसरी ओर भाजपा रामपुर में अनेकों कार्यक्रमों के माध्यम से हर वर्ग तक पहुंचने में काफी सफल हुआ है। यहां तक कि जो कांग्रेस का मजबूत वोटर माना जाता था वह भी वर्तमान हालात में भाजपा के कुछ नेताओं के साथ लगातार संपर्क बनाकर कदमताल कर रहा है। ऐसे में रामपुर कांग्रेस को समय रहते संजीवनी न मिली तो पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की अपने गृह क्षेत्र की पार्टी विरासत को भी धक्का लग सकता है।