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यहां शिव गुफा में होती है धर्मी और पापी की पहचान

-रामपुर  बुशहर  /  विशेषर नेगी —

हिमाचल प्रदेश के देव ढांक  नामक गुफा में  शिवरात्रि के दिन
होती है धर्मी और  पापी की पहचान। मान्यता है शिवरात्रि के दिन देव ढांक
गुफा में दर्शन के लिए जाने वालों की होती है सभी मनोकामनाएं पूरी ।  इसी
गुफा में ध्यान करने के बाद गुफा होते हुए सुरंग मार्ग से  शिव महाराज
पहुंचे थे कैलाश । शिवरात्रि के दिन यहाँ पहुँचते है हजारों भक्त।

-हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब  140 किलोमीटर दूर
निरमंड  उपमंडल  मुख्यालय के समीप  देव ढांक  नामक स्थान में शिवरात्रि
के दिन भक्तों का ताता लगता है।  यहां पर मिटटी पत्थरो की बनी प्राकृतिक
गुफा में प्रवेश   निकासी के लिए रास्ते बने हैं। लेकिन  इस गुफा  में
प्रवेश व् दर्शन के बाद बाहर वही आदमी निकल सकता है जो सकारात्मक विचारो
से आया हो और मन में  पाप द्वेष की  भावना न हो।  मान्यता है कि पापी
यानी अधर्मी इसमें फंस जाता है।  इस प्राकृतिक गुफा मैं भोले नाथ ने
कैलाश जाने से पहले तपस्या की थी।  और इस प्राकृतिक गुफा के अंदर बने
सुरंग से होते हुए  श्रीखंड कैलाश पहुंचे थे।  बताया जाता है कि
शिवरात्रि के दिन यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है।
चाहे वह संतान प्राप्ति की हो या अन्य कोई  समस्या। इसीलिए हजारों की
संख्या में   शिवभक्त शिवरात्रि के दिन सुबह से ही  यहाँ आना शुरू हो
जाते हैं।

मंदिर पुजारी हरदयाल शुक्ला ने बताया देव ढांक  गुफा का पुराना
इतिहास है।    शिवरात्रि के दिन इसकी अलग ही पहचान होती है और इस दिन
भोले शंकर  की भक्तों पर बहुत कृपा रहती है।   इस  प्राकृतिक गुफा में
दर्शन के लिए अच्छे विचार   और साफ दिल  से आया हो वह गुफा में जो छेद
बने उसे आराम से प्रवेश कर सकता है।  लेकिन  जो तामसिक विचार  यानी पाप
कपट वाला आता है तो  वह ना अंदर जा सकता है ना बाहर निकल सकता है।
न्होंने बताया कि इसी गुफा से होते हुए शिव   श्रीखंड  पहुंचे थे।

 टेक सिंह भंडारी  देव्ने ढांक मंदिर प्रमुख  बताया कि इस देव
ढाँक  गुफा की विशेषता यह है कि इस गुफा में स्वयं बाबा भोलेनाथ ने
तपस्या की थी  और  श्रीखंड कैलाश के लिए भी  गुफा के अंदर बने  गुप्त
मार्ग से होते पहुंचे थे।   दूसरी विशेषता यह भी है कि शिवरात्रि के दिन
जो भी श्रद्धालु यहां आता है ,उसकी मनोकामना  शिव महाराज पूरी कर देते
है।   इसके साथ-साथ यहां प्रवेश द्वार और बाहर निकलने के लिए जो गुफा के
रास्ते बने हैं उसमें पाप आत्मा   प्रवेश नहीं कर पाते, चाहे वह कितना ही
प दुबला पतला हो।स्थानीय निवासी  राजीव शर्मा ने बताया की  शिवरात्रि के पावन अवसर
पर यहां हजारों की संख्या में लोग गुफा में शिव दर्शन के लिए आते हैं और
उनकी मनोकामना पूरी होती है। यहाँ दूर दूर से लोग आते है।

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