रामपुर बुशहर (विशेषर नेगी)।
जब समाज किनारा कर ले और हालात साथ न दें, तब कोई आगे बढ़कर यदि जीवन की डोर थामे, तो वह देवदूत से कम नहीं होता। शिमला जिले के रामपुर स्थित ठाकुर सत्यनारायण कपूरिया मंदिर ट्रस्ट ऐसे ही देवदूत की भूमिका निभा रहा है—उन बेटियों के लिए, जिनके सिर से मां-बाप का साया उठ चुका है या जो अत्यंत गरीबी के कारण अपने सपनों का घर नहीं बसा पातीं।
ट्रस्ट अब तक 51 ऐसी बेटियों की शादियां करवा चुका है, और बीते दिन एक और बेटी की शादी विधिवत रीति-रिवाजों के साथ मंदिर परिसर में सम्पन्न करवाई गई। ट्रस्ट ने न सिर्फ बारात का स्वागत किया बल्कि भोजन, आवास, रस्में और उपहारों की भी संपूर्ण व्यवस्था की।
कोरोना से लेकर कन्यादान तक—हर मोर्चे पर आगे ट्रस्ट
चाहे स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन हो या आपदा के समय राहत कार्य—सत्यनारायण मंदिर ट्रस्ट हमेशा सबसे आगे रहा है। खासकर कोरोना काल में ट्रस्ट की सेवाओं ने लोगों का दिल जीत लिया।
लेकिन ट्रस्ट का सबसे संवेदनशील और सराहनीय कार्य है उन बेटियों की शादी कराना, जो समाज में सबसे कमजोर स्थिति में होती हैं। ट्रस्ट इन बेटियों के लिए मां-बाप की भूमिका निभाते हुए न केवल शादी कराता है, बल्कि उन्हें गृहस्थ जीवन की शुरुआत के लिए जरूरी सामान भी उपहारस्वरूप देता है।
“हर साल दो बार रचते हैं शादियां” – महासचिव विनय शर्मा ने बताया “हम सालभर सेवा कार्य करते हैं और वार्षिक कैलेंडर के अनुसार हर साल दो बार ऐसी कन्याओं की शादी करवाते हैं, जिनके पास कोई सहारा नहीं होता,” – विनय शर्मा, महासचिव।
नवविवाहिता मोहिनी सरपारा की रहने वाली मोहिनी ने कहा कि ट्रस्ट ने जो सहयोग दिया, वह उसकी जिंदगी बदल देने वाला था। “मैं भगवान से दुआ करती हूं कि ट्रस्ट यूं ही बेटियों के सपनों को पंख देता रहे,” – मोहिनी।
समाजसेवी जीआर आजाद “यह सिर्फ शादी नहीं, एक जीवन को सम्मान देने का प्रयास है। ट्रस्ट ने अब तक 51 बेटियों की जिम्मेदारी उठाई है। यह समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है,” – जीआर आजाद, सेवानिवृत्त जिला खेल अधिकारी।
जब समाज खड़ा हो जाए उन लोगों के लिए, जिनका कोई नहीं—वहीं से असली परिवर्तन की शुरुआत होती है। ठाकुर सत्यनारायण मंदिर ट्रस्ट का यह प्रयास समाज के लिए प्रेरणा है, और उन असहाय बेटियों के लिए एक नई सुबह।