बिलासपुर में डिजिटल एंजियोग्राफी लैब के साथ सिंगल प्लेन कार्डियोवास्कुलर कैथीटेराइजेशन की स्थापना की गई है। कैथ लैब नवीनतम विशिष्टताओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तकनीकी रूप से अत्यधिक उन्नत है। इस लैब की मदद से, एम्स बिलासपुर में हृदय रोगियों को एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी/स्टेंटिंग जैसी तत्काल जीवन रक्षक प्रक्रियाओं की सुविधा उपलब्ध होगी । हृदय रोग से पीड़ित रोगियों में पेसमेकर इम्प्लांटेशन, बच्चों में हृदय दोष (हृदय में छेद) को डिवाइस से बंद करने जैसी कई अन्य प्रकार की हृदय संबंधी प्रक्रियाएं भी यहां की जाएंगी।
कैथ लैब में डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) जैसी उन्नत सुविधाएं हैं। इसकी सेवाओं का उपयोग इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग और न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों के धमनी के इंटरवेंशन के लिए भी किया जाएगा।
अभी तक में हिमाचल प्रदेश राज्य में केवल दो कार्यात्मक कैथ लैब हैं (आईजीएमसी, शिमला और डॉ. राजेंद्र प्रसाद सरकारी मेडिकल कॉलेज, टांडा)। एम्स, बिलासपुर में कैथ लैब की स्थापना से हृदय रोग के जरूरतमंद मरीजों को समय पर किफायती इलाज उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी, जिससे उन्हें इलाज के लिए कई घंटों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। एम्स बिलासपुर में कार्यात्मक कैथीटेराइजेशन लैब की स्थापना किफायती और विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
4.6 करोड़ की लागत से मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री एम्स बिलासपुर की एक और बड़ी उपलब्धि है। इस सुविधा में 4 संयंत्र हैं जिनकी संयुक्त भार क्षमता 290 किलोग्राम प्रति चक्र है। लिनन के साथ-साथ स्क्रब सूट की धुलाई, कीटाणुशोधन, सुखाने और इस्त्री करने सहित ऑपरेशन के एक चक्र के लिए लगभग दो घंटे की आवश्यकता होती है। यह रोगी की सुरक्षा के लिए स्वच्छ स्थिति बनाए रखने में सहायक होगा। यह परस्पर संदूषण को कम करता है और रोगियों को स्वच्छ सामग्री प्रदान करता है। यह कपड़े धोने के लिए पानी और ऊर्जा की खपत को भी कम करता है। मशीनीकृत लांड्री सेवाएँ लिनन धोने के लिए सबसे अच्छा तरीका मानी जाती हैं। वे सुरक्षित, भरोसेमंद और किफायती हैं।