जागो महाकाल !
भस्म हो रहा समय खोलो तो दृग होने को दिख रहा भुवन अवशेष जागो जागो जागो हे भुवनेश
डम डमक डमक डमरु की ताल पर कब नाचोगेठम ठमक ठमक शिवा एक टांग कबनटराजोगे
धरती स्तब्ध धुआं धुआं हुआ निलेशजागो जागो जागो हे भुवनेश
तन भभूत पोत मृग छाल लपेटगला सर्प डालजकड़ त्रिशूलदंड पटको पैर प्रचंडले कर कपाल
बिखरा बिखरा बिखरा फिरसे केशजागो जागो जागो हे भुवनेश
पाकर वर हाथों में भस्मासुर सादिखता दानवकरने त्रिपुर पर राज मनमानीनिकला मानव
महाकाल शंकर शंभू रुद्र महेश जागो जागो जागो हे भुवनेश
डॉ एम डी सिंह