रामपुर बुशहर –विशेषर नेगी ——बसंत आगमन की खुशी में मनाए जाने वाले फाग उत्सव में दिखने लगा
समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा की झलक। विशुद्ध रूप से स्थानीय संस्कृति से
जुड़े इस उत्सव में ग्रामीण महिलाओं की उपस्थिति रही अधिक। मेले के दौरान
देव नृत्य रहा आकर्षण का केंद्र। मेले में लोगों ने पारम्परिक वेश भूषा
में नाच गाकर मनाई खुशियां। इस दौरान आस पास के इलाकों से आए देवी
देवताओं को भेंट चढ़ा कर की सुखद भविष्य की कामना।


-शिमला जिला के रामपुर बुशहर में बसंत आगमन की खुशी में
मनाए जाने वाला फाग उत्सव में समृद्ध पहाड़ी संस्कृति की झलक देखने को
मिली। मेले में खासकर ग्रामीण इलाकों से आई महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा
लिया। इस दौरान लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों से आए देवी देवताओं से
मन्नतें मांगी और सुखद भविष्य की कामना की कामना की। मेले का मुख्य
आकर्षण देव नृत्य और देवी देवताओ के साथ आये नर्तक दल रहे। देवी
देवताओ ने रामपुर बाजार में शोभा निकाली उस के बाद मेला मैदान राजदरबार
पहुंचे। राजदरबार राजगद्दी को आशीर्वाद देनेके बाद दिन भर नातियों का
दौर चलता रहा। मेला मैदान में दिन भर देव वाद्य यंत्रो की धुनों में
मला नृत्य चलता रहा। लोगों का कहना है कि 2 साल कोरोना बीमारी के कारण
समारो नहीं हो पाए थे। अब लम्बे अंतराल के बाद ख़ुशी मनाने का मौक़ा
मिला है। उल्लेखनीय है कि रामपुर का फाग उत्सव सर्दियों के बाद बसंत
ऋतु आगमन की खुशी में होली के दूसरे दिन से ही चार दिनों तक मनाया जाता
है। इस मेले की सांस्कृतिक परम्परा स्थानीय देवी-देवताओं के सानिध्य से
अभी बरकरार रखा है.नर्तक दल के सदस्य निरथ सिंह ने बताया कि वे गांव बिल की
देवी के साथ हर साल फाग मेले में आते हैं और खूब नाच गान करते हैं।
पिछले दो वर्षो से कोरोना महामारी के कारण मेले का आयोजन नहीं हो
पाया था. इस बार उन्होंने मेले का काफी आनंद लिया और हम चाहते हैं कि इस
उत्सव की गरिमा को यूं ही भविष्य में भी बनाये रखे।

मेला देखने किन्नौर से आये सुमन भारद्वाज ने बताया दो साल के
बाद फाग देखने का मौका मिला और खुशी की बात है। हम ने मेले में खूब
आनंद उठाया। सुनीता पालसरा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों से देवी देवता आते
हैं और देवताओं के साथ देवलु और लोग भी मेला देखने आते ,खूब खुशियां
मनाते हैं
हमारी सांस्कृतिक परम्परा को कायम रखने में अहम भूमिका निभा रहा है।