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प्रदेश सरकार कण्डाघाट में दिव्यांगजनों के लिए स्थापित करेगी ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’: मुख्यमंत्री

शिमला 17 जून,न्यूज व्यूज पोस्ट।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार सोलन जिले के कण्डाघाट में दिव्यांगजनों के लिए उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने जा रही है। विशिष्ट सुविधाओं से सुसज्जित इस केंद्र में 27 वर्ष की आयु तक के विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए आवासीय सुविधाएं, खेल मैदान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सहित व्यापक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए परियोजना को समयबद्ध पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना को दो वर्ष के भीतर पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और इसके लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया जाएगा। सोलन के कण्डाघाट क्षेत्र के टिक्करी गांव में 45 बीघा सरकारी भूमि को चिन्ह्ति कर, इस परियोजना को स्थापित करने के लिए भूमि का स्वामित्व सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग को दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग को कंटूर मैपिंग करने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि डीपीआर तैयार होने के पश्चात निविदा प्रक्रिया आरम्भ की जा सके।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र के माध्यम से 300 दिव्यांग विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। विभाग ने इस परियोजना को तैयार करने के लिए प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए विभाग ने विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों का अध्ययन किया है तथा दृष्टि एवं श्रवण बाधित विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रमों की पहचान की है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र की रूपरेखा तैयार करने के लिए दृष्टि एवं श्रवण बाधित विशेषज्ञों तथा समग्र क्षेत्रीय केंद्र सुंदरनगर के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की गई है। परियोजना को और बेहतर बनाने के लिए चेन्नई में ‘दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण संस्थान’ का दौरा करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस दौरे का उद्देश्य संस्थान के उत्कृष्ट मॉडल का अध्ययन करना है ताकि कण्डाघाट केंद्र में सर्वश्रेष्ठ सुविधाओं को शामिल किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष में प्रदेश सरकार ने समाज के वंचित वर्गों के कल्याण एवं उत्थान के लिए अनेक नवोन्मेषी कदम उठाए हैं। सरकार के नवीन प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश के दिव्यांगजन समाज की मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं।
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