रामपुर बुशहर। न्यूज व्यूज पोस्ट।
पशुधन संजीव सेवा के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। रामपुर आस पास के क्षेत्र में पशुधन संजीवनी सेवा बिना दवाओं के औपचारिकता ही निभा रहा है । ऐसे में आपात एवं गंभीर चोटिल पशुओ को तुरंत उपचार पहुंचना मुश्किल हो रहा है। खास कर लावारिस छोड़े गए पशुओं को उपचार में दिक्कते आ रही है। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश प्रवक्ता बृजलाल ने बताया इन दिनों सड़को पर आवारा छोड़े गए पशुओं की संख्या अधिक रहती है और वाहनों के टक्कर अथवा अन्य कारणो से पशु चोटिल भी अधिक होते है। इस स्थिति में आम व्यक्ति जो लावारिस पशु के उपचार की गुहार लगाता है, उसे पशु धन संजीवनी सेवा से जुड़े कर्मियों की पशु इलाज में सहायता के साथ दवाइयो की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। क्योंकि संजीवनी सेवा से जुड़े वाहन में कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है । उन्होंने कहा इस के साथ साथ 1962 पर कॉल करने पर समय पर सेवा उपलब्ध भी नही हो रही। जब की सेवा से जुड़े वाहन खाली खड़े होते है। अगर दोपहर बाद चार बजे या इस से पहले संजीवनी सेवा की मांग करने पर सेवा से जुड़े कर्मी 5 बजे ड्यूटी आफ का तर्क दे कर अगले दिन उपचार के लिए आने की बात कहते है। भाजपा अनुसूचित जाति के प्रदेश प्रवक्ता बृज लाल ने बताया हिमाचल सरकार पशुधन संजीवनी सेवा से पशुपालको को तुरंत राहत पहुंचाने का दावा तो कर रही है। लेकिन अभ्यवस्थाओ के कारण जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और है। उन्होंने बताया कि पशुधन संजीवनी सेवा से जुड़े वाहन में दवाएं उपलब्ध होना आवश्यक है। क्योंकि तभी पशु का तुरंत उपचार हो सकता है। अगर दवाइयां स्वयं पशुपालन को लाना हो तो गांव से बाजार आने जाने में लंबा समय गुजर जाता है। उन्होंने कहा खासकर लावारिस पशु के मामले में मुश्किलें खड़ी हो जाती है। क्योंकि कोई पशु प्रेमी मुश्किल से लाचार पशु की सेवा में मदद के लिए आगे आता है अगर ऊपर से दवाएं भी उसे ही खरीद कर लाना पड़े तो मुश्किल हो जाता है। बृजलाल ने बताया कि संजीवनी सेवा से जुड़े वाहन समय पर उपलब्ध हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए । उधर 1962 पशुधन संजीवनी सेवा के रामपुर स्थित वाहन में सेवाएं दे रहे राकेश ठाकुर ने बताए कि संजीवनी सेवा से जुड़े वाहन में दवाइयां उपलब्ध नहीं है। दवाइयां स्वयं सेवा की मांग करता को उपलब्ध करवानी होगी।