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नगरपरिषद रामपुर ठेका मजदूर यूनियन का सम्मेलन किसान मजदूर भवन चाटी में

रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट–नगरपरिषद रामपुर ठेका मजदूर यूनियन सम्बंधित सीटू का तीसरा इकाई सम्मेलन किसान मजदूर भवन चाटी में हुआ।इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व बिहारी सेवगी ने कहा कि देश की मोदी सरकार खुले तौर पर पूंजीपतियों के पक्ष खड़ी हुई है और देश को बेचने के लिए आमादा है देश के सविधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया जा रहा है पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं व बिजली संशोधन कानून 2021 को लागू करने के लिए एकदम ततपर रहना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार 2020 से मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने व सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के लिए लगातार कार्य कर रही है। सरकार के इन निर्णयों से बहुत अधिक संख्या में मजदूर व आम जनता सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले मुफ्त में करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत मोदी सरकार बैंक, बीमा, रेलवे, सड़क, बीएसएनएल ,एयरपोर्टों, स्टेडियम, बिजली , बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। इस से केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा हो रहा है व गरीब और ज़्यादा गरीब हो रहे हैं। खुद को गरीबों की सरकार कहने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है। देश में महंगाई व बेरोजगारी पिछले 45 सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिया है जिस पर काबू न करने से आम लोगों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है पिछले 1 वर्ष में 33 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हुए है। सबसे गरीब तबका व सबसे ज़्यादा महिलाएं जो मनरेगा मैं कार्य करती है मनरेगा कानून में बजट की कमी के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है और जिनको मनरेगा में काम मिल रहा है उन्हें समय पर वेतन नही मिलने से हताशा की स्थिति पैदा हो गई है दूसरे तरफ आवश्यक बस्तुओं के दामों में लगातार बढ़ोतरी से अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है।देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग बन्दी व अन्य क्षेत्रों में काम बन्दी होने से मजदूरों का गांव की ओर रिवर्स माइग्रेशन हुआ है व बेरोजगार जनता के लिए मनरेगा रोज़गार का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। मनरेगा में बजट कम होने से समय पर रोजगार न मिलने से देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है जिसने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है देश की जनता व बेरोजगार युवाओं में हताशा पैदा कर दी है।

हिमाचल प्रदेश में जबसे भाजपा सरकार बनी है तब से लगातार मजदूर विरोधी फैसले ले रही है हिमाचल सरकार ने काम के घंटे 8 से 12 करने की अधिसूचना जारी की है जिससे मजदूरों को गुलाम बनाने का मसौदा तैयार किया गया है। हिमाचल प्रदेश के मजदूरों को 15वें श्रम सम्मेलन के निर्णय के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है और वेतन को महंगाई व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है।

सम्मेलन मैं 13 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया जिसमें देवेंद्र को अध्यक्ष, अनूप को उपाध्यक्ष ललिता को महासचिव, उस्तानी को सचिव मंजू को कोषाध्यक्ष मनिता, मीना, सीता, राजू राणा, चरण दासी, नीलम को सदस्य चुना गया ।
सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 1 मई से लेकर 30 मई को सीटू के स्थापना दिवस तक मजदूरों को केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों व मजदूरों पर हो रहे हमलों को लेकर शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम किये जाएंगे व 30 मई को सीटू का स्थापना दिवस मनाया जाएगा, सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि रामपुर नगरपरिषद के अंदर ठेका मजदूरों पर श्रम कानूनों को लागू करने, मजदूरों की सेफटी ग्लव्स, मास्क , हर माह की 7 तारिख से से पहले वेतन , 1 मजदूर को जानबूझकर पिछले 5 महीने का वेतन, मजदूरों के मार्च माह का वेतन जो अभी तक नहीं दिया, मजदूरों को श्रम अधिकारी द्वारा सत्यापित आई कार्ड, वेतन स्लिप, रविवार की छुटटी के अलावा अन्य कोई छुटटी व epf का रिकॉर्ड , esi को लागू करने, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रेल 2021 से निर्धारित किये गए न्यूनतम वेतन जो प्रतिदिन 300 रुपये निर्धारित किया गया है के एरियर भुगतान के मुद्दों व लंबित पड़ी मांगों को लेकर आगामी समय में तीखा संघर्ष करने का निर्णय भी सम्मेलन में लिया गया है।

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