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रामपुर बुशहर –विशेषर नेगी —-
महिला दिवस पर रामपुर महाविद्यालय में तीन दिव्यांग शोधार्थी
छात्राओं ने समाज को आईना दिखाने का किया प्रयास। उन्होंने दिव्यांग महिलाओं
को विपरीत परिस्थितियों और सामाजिक प्रतिकूल धारणाओं को तोड़ कर आगे बढ़ने
के दी प्रेरणा। इस दौरान स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता विषय पर
वक्ताओं में दिए बहुमूल्य सुझाव। प्रसिद्ध मावधिकार कार्यकर्ता एवं
हिमाचल विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर अजय श्रीवास्तव ने महिलाओ के संवैधानिक
अधिकारों का किया व्याख्या।
-रामपुर के गोविंद बल्लभ पंत महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय
महिला दिवस पर महिला शिकायत एवं निवारण प्रकोष्ठ द्वारा कार्यशाला का
आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में हिमाचल विश्विद्यालय की तीन दिव्यांग
शोधार्थी छात्राओं ने महिलाओ को विकट एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे
आगे बढे रास्ता दिखाया। उन्होंने कैसे दृढ़ निश्चय और हिम्मत के साथ
नेट सेट उत्तीर्ण करने ले कर पीएचडी का सफर तय किया अनुभव साँझा किये।
इस वर्ष महिला दिवस की थीम ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’
विषय पर विशेष रूप से चर्चा हुई। महिलाओं के संवैधानिक अधिकार तथा
महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका विषय पर भी
अतिथि वक्ताओं ने विचार रखे। कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इक्डोल के पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर
एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता अजय श्री वास्तव बताया की सामाजिक व्यवस्था
को अच्छा बनाने के साथ सुधार प्रयास किया जाना चाहिए। इस दौरान
उन्होंने मानव अधिकारों खास कर महिला अधिकारों की विस्तार से जानकारी
दी। हिमाचल प्रदेश योगासन खेल एवं योग प्रशिक्षक महासचिव विनोद शर्मा
ने भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग क्रियाओं की जानकारी दी।
इस दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में दृष्टिबाधित एवं शारीरिक रूप
से अक्षम शोधार्थियों मुस्कान व् प्रतिभा दिव्यांग अंजना ने महिलाओ एवं
कालेज छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। रामपुर
महाविद्यालय के प्राचार्य पीसीआर नेगी व् कार्यक्रम संयोजिका प्रोफेसर
गीता शर्मा ने विस्तार से महिला सशक्तिकरण पर वक्तव्य दिए।
-महाविद्याल के प्राचार्य प्रो पीसीआर नेगी ने बताया कि यह
महाविद्यालय 5 जिलों को कवर करता है.और करीब 5 हजार छात्र यहाँ अध्ययनरत
है। ऐसे जागरूकता से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन से ग्रामीण दूर दर्ज तक
के करीब चार हजार गांव तक यह संदेश पहुंचेगा।
हिमाचल विश्वविद्यालय इक्डोल के प्रोफेसर एवं मानवाधिकार
कार्यकर्ता प्रो अजय श्रीवास्तव ने बताया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर
साल मनाया जाता है। लेकिन इसके मनाने का कारण है यह है कि हमें सोचना
है की महिलाओं को सुरक्षा, साधन और आगे बढ़ने के मौके प्रदान करें।
महिलाओं को कई दिक्कतें आती है। समाज के हर वर्ग का कर्तव्य बनता है
कि उन बैरियर को जो बाधाएं खड़ी की जाती है उन्हें हटाया जाए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कॉलेज में उन्होंने महिलाओं के संवैधानिक
अधिकारों के बारे में जागरूक करने का मौका मिला। दृष्टि बाधित पीएचडी कर रही छात्रा मुस्कान ने बताया महिला दिवस
के उपलक्ष में यह संदेश देना चाहूंगी कि अपने आप को किसी से कमजोर बिलकुल
न समझे। सशक्त बने और अपने अधिकारों के लिए लड़े और हर क्षेत्र में आगे
बढ़े। उन्होंने बताया कि जैसे कि वे भी कई समस्याओं से जूझते हुए यहां तक
पहुंचे है। अभी हिमाचल विश्वविद्यालय से म्यूजिक में पीएचडी कर रही है
और इसी तरह सभी को संघर्ष करना है तभी मंजिल जो है मिल सकती है।
राजनितिक शास्त्र में पीएचडी कर रही दृष्टिबाधित छात्र
प्रतिभा ठाकुर ने बताया महिला शारीरिक रूप से सक्षम या अक्षम हो , महिला
हो या पुरुष दोनों ही प्रकृति को चलाने वाले है। दोनों की बराबरी होना
आवश्यक है। दोनों किसी से कम है नहीं। एक महिला को सशक्त बनाने में
पुरुष का भी बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि अपने घर की बेटी, बहू
के सपनों को पूरा करने का अवसर दें.