रामपुर उपमंडल के तहत दत्तनगर में रामपुर परियोजना के सतलुज नदी पर बने पुल के साथ अवैज्ञानिक ढंग से रेत खनन का कार्य हुआ फिर तेज । कुछ रोज पूर्व सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण इसी स्थान पर बह गई थी गौशाला के दो शेड। खनन माफिया द्वारा अवैध रूप से मशीनें लगा कर लम्बे समय से निकाला जा रहा है रेत। इसी कर कुछ रोज पूर्व सतलुज नदी का बहाव मुड़ कर गौशाला की ओर हो गया था। अब फिर से खनन माफिया रात के अंधेरे में जेसीबी लगाकर रेत निकालने में लगे है। इससे सतलुज नदी के साथ गौशाला व गुजर बस्ती को खतरा बढ़ गया है। समय रहते अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो हो सकता है बड़ा नुकसान। खनन माफिया सरकार को बिना रॉयल्टी दिए धड़ले से सतलुज किनारे से रेत निकाल कर साथ में ही लगा कर रखते है ढेर। गौशाला संचालकों का कहना है कि कुछ रोज पूर्व भी अधिक खनन होने के कारण सतलुज नदी का बहाव गौशाला की ओर मुड़ा और गौशाला के दो शेड सतलुज के भाव में बह गए । पशुओं को तो रात के अंधेरे में जैसे तैसे बचा लिया गया।उन्होंने बताया कि अगर सतलुज नदी पर उक्त स्थान पर अवैध रूप से मशीनों द्वारा खनन ना किया गया होता तो आज यह स्थिति ना होती। अब दोबारा से सतलुज नदी में पानी कम होते ही खनन माफिया मशीनों के माध्यम से रेत निकालने के कार्य में जुट गया है । ऐसे में अब गौशाला को और अधिक खतरा हो सकता है। उधर वर्षों से वहां रह रहे गुर्जर समुदाय के लोगों का कहना है कि उनका कोई दूसरा ठिकाना नहीं है। वे इसी स्थान पर रिहायश बना कर रहे हैं। लेकिन खनन कर्ताओं द्वारा सतलुज नदी के किनारे को अधिक खोदे जाने के बाद नदी का बहाव उनके आशियानों की ओर बढ़ गया था । जिस कारण उन्हें यहां से कुछ समय के लिए प्लान करना पड़ गया है। उनका कहना है कि वे गरीब लोग हैं और ऐसे में उन्हें यहां से पलायन करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन का कहना है की मवेशी रखने की जगह न होने से पशुओं को खतरे वाली जगह पर ही रखा गया है। इस स्थिति में मवेशियों के कभी भी डूबने का खतरा बना हुआ है ।