रामपुर बुशहर। विशेषर नेगी।
किन्नौर के शिपकिला होते हुए भारत तिब्बत व्यापार बंदी का असर दिखने लगा है अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले से पूर्व रामपुर मे आयोजित किए जा रहे अश्व प्रदर्शनी एवं व्यापार पर । समय पर तिब्बत से चौमूर्थी नस्ल के घोड़े न आने के कारण बाहरी राज्यों से आए खरीदारों को होना पड़ रहा है निराश। रामपुर में अश्व प्रदर्शनी के दौरान हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से लाए जाते हैं सैकड़ो घोड़े व्यापार के लिए। आधिकारिक तीन दिवसीय अश्व मेले एवं प्रदर्शनी के दौरान करोड़ों रुपए का होता है अश्व व्यापार। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 130 किलोमीटर दूर रामपुर बुशहर में 11 से 14 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आयोजित किया जाता है। इससे पूर्व 4 से 6 नवंबर तक आधिकारिक अश्व प्रदर्शनी एवं व्यापार होता है। इस व्यापार का मुख्य आकर्षण तिब्बती नस्ल के चौमुर्थी घोड़े होते है। पिछले कुछ वर्षों से किन्नौर के शिपकिला होते हुए तिब्बत के साथ व्यापारिक आदान-प्रदान बंद होने के कारण अब तिब्बत से चौमूर्थी नस्ल के घोड़े नहीं आ पा रहे हैं । जिस कारण लोगों को चौमुर्थी नस्ल के घोड़े मांग अनुसार नहीं मिल पा रहे हैं। हर साल इस मेले में सैकड़ो घोड़ों का व्यापार होता है। जिसमें विशेष तौर से उत्तराखंड से व्यापारी आते हैं । इस बार भी उत्तराखंड से सैकड़ो की संख्या में व्यापारी घोड़े खरीदने के लिए रामपुर पहुंचे हैं, लेकिन अभी तक चौमुर्थी नस्ल के स्पीति से आने वाले घोड़े नहीं पहुंच पाए हैं। कुछ खरीददार स्पीति पहुंचकर ही घोड़े ख़रीद लाए है।
उधर अश्व मेले के दौरान दलालों की मनमानी पर भी अश्व क्रेता काफी नाराज है।
किन्नौर के तिब्बत सीमा खाब गांव के रहने वाले अमी चंद नेगी ने बताया वे घोड़े ले कर रामपुर अश्व प्रदर्शनी में आए हैं। जिसमें रामपुर, कुल्लू, मंडी, और किन्नौर से काफी घोड़े आए हैं। लेकिन स्पीति के घोड़े पहुंचे नहीं है। उन्होंने कहा स्पीति से करीब 50 घोड़े आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा घोड़ों के खरीददार इस बार स्पीति पहुंचे थे और वही पर खरीदारों ने 60 से 65000 में घोड़े खरीदे हैं। उन्होंने कहा वैसे भी स्पीति से घोड़े अब काम ही आते हैं। क्योंकि जब से तिब्बत से ट्रेड बंद हुआ उसके बाद तिब्बत से घोड़ों का आना बंद हुआ है। उन्होंने बताया वे स्वयं भी हर साल करीब 25 घोड़े तिब्बत से लाते थे और मेले में यहां ला कर बेचते थे। उपनिदेशक पशुपालन विभाग शिमला अमित अत्री ने बताया कि अश्व प्रदर्शनी के दौरान पंजीकरण घोड़े का शुरू कर दिया है अभी तक 137 घोड़े का पंजीकरण हुआ है। आसपास के क्षेत्र से घोड़ा है। अभी स्पीति से घोड़े आने वाले हैं । उत्तराखंड से आए लोकेंद्र सिंह ने बताया कि यहां पर घोड़े खरीदने के लिए वे आते हैं। ज्यादातर स्पीति के घोड़े खरीदते है।लेकिन मेले में कुछ दलाल जो तिब्बती मूल के है वे दुर्व्यवहार और मारपीट पर उतर आते है। उन्होंने बताया बीती रात भी एक घोड़ा उन्होंने बिना दलाल के खरीदा था उस के बाद सुबह दलाल ने मारपीट की है। प्रशासन इस पर ध्यान दे।
वीरपाल सिंह चनेली उत्तरकाशी निवासी ने बताया कि यहां पर वे घोड़े के व्यापार के लिए काफी वर्षों से आ रहे हैं। हर साल यहां से घोड़े ले जाते हैं, कभी घोड़े अच्छे मिलते कभी ठीक नहीं मिलते। उन्होंने बताया कि वे एक न से स्पीति के घोड़ों की इंतजारी में है।
उत्तराखंड से आए युद्ध वीर सिंह रावत ने बताया कि करीब 200 लोग उत्तराखंड से आए हैं। यहां रामपुर में अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के दौरान घोड़े खरीदने के लिए आते हैं। विशेष तौर से स्पीति के चौमुर्थी घोड़े लेने के लिए आते हैं। अभी तक घोड़े स्पीति से नही पहुंचे है।