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किन्नौर के रूपी और रामपुर के कूट पंचायत के भेड़ पालकों को किया पिन घाटी से रेस्क्यू

काजा। न्यूज व्यूज पोस्ट/

लाहुल स्पीति जिला के तिब्बत सीमा क्षेत्र पिन घाटी के चरागाहों में किन्नौर रूपी पंचायत और रामपुर कूट पंचायत के भेड़ पालकों को काफी मशक के बाद रेस्क्यू टीम ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। भेड़ पालकों के 12 भेड़ बकरियों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। काजा प्रशासन के अनुसार 400 भेड़े अब तक मारी जा चुकी है और 50 लापता है। उधर दूसरी ओर बड़ा बलदर में अभी भी 15 सौ से दो हजार के करीब बकरियां फंसी होने की सूचना है। जिन्हें निकालने के प्रयास काजा प्रशासन ने तेज कर दिए हैं। उल्लेखनीय है की कुछ रोज पूर्व हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में आई भारी बारिश के कारण किन्नौर के भावा घाटी होते हुए स्पीति के पिन वैली में भेड़ बकरियां ले कर गए भेड़ पालक नदी नालों में पानी बढ़ जाने के कारण फंस गए थे। हालांकि एक हफ्ता पूर्व पशुपालन विभाग के भेड़ पालकों समेत कुल 28 लोगों को कारा नामक स्थान से एनडीआरएफ, आइटीबीपी, पुलिस, होमगार्ड की टीम ने रेस्क्यू किया था। लेकिन चार सौ भेड़ वही छोड़ना मजबूरी बन गया था। दूसरी ओर काजा प्रशासन को भेड़ पालकों के फंसे होने की सूचना मिलते ही रेस्क्यू अभियान चलाया गया। रेस्क्यू टीम पिन घाटी होते हुए भावा दर्रा की ओर फंसे हुए सभी भेड़ पालकों को सकुशल निकालने में सफल हुई। पिन घाटी के संगम के आसपास फंसे किन्नौर रूपी पंचायत के भेड़ पालकों के समूह की रेस्क्यू किया गया और इसी तरह आठ अन्य गद्दी जो रामपुर क्षेत्र के कूट पंचायत के है उन्हें मूद से करीब 17 किलोमीटर दूर दूर 1100 भेड़ बकरियों के साथ थे उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। उन्हें रेस्क्यू करने के लिए नदी के भाव को बदला गया । बताया जा रहा है कि अभी भी बड़ा बलदर क्षेत्र में छोटा पुल पूरी तरह टूट चुका है जिस वजह से पंद्रह सौ से 2000 भेड़ बकरियां फंसी है। शाहा पुल टूट चुका है जिसका मरम्मत कार्य जारी है। ऐसे में स्पीति घाटी में भेड़ बकरियों की दशा नाजुक बनी हुई है ।
काजा प्रशासन के अनुसार चांगलुंग जंगल में किन्नौर रूपी गांव के रविंद्र नेगी 700 भेड़ बकरियों के साथ फंसे थे । जबकि नूर जंगल में रामपुर के सुरु गांव के साहिल 600 भेड़ बकरियों के साथ फंसे थे। इसी तरह देपसा नामक जंगल में रामपुर कूट पंचायत के ही गोपीचंद 550 भेड़ बकरियों के साथ फंसे थे । इसी तरह किलड जंगल में कूट पंचायत के ही कुलदीप 700 भेड़ बकरियों के साथ फंसे थे जबकि खमेजर जंगल में कूट पंचायत के देवेंद्र साढे छह सौ भेड़ बकरियों के साथ फंसे हुए थे। इन सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

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