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उसका प्रतिशोध अभी

उसका प्रतिशोध अभी अधूरा है—-डाॅ एम डी सिंह

ललाट पर लगे कलंक का

उसे कोई परवाह नहीं

युद्ध द्वापर में लड़ा जाए 

चाहे कलयुग में

मैदान कुरुक्षेत्र का हो

चाहे गाजा का 

उसे नहीं भूला कृष्ण !

तुम्हारा शंखनाद

जिसने जान ले ली थी उसके पिता की

धर्मराज के कहे 

आधे अधूरे सच को दबाकर

सूख गए अंतःसंवेदनाओं के स्वामी 

अश्वत्थामा को 

न तो गर्भस्थ अजन्मों की हत्या पर- 

छाती पीटती मांओं की 

न ही मानवता के संघार पर‐

थू-थू करते संसार की

कोई चिंता है 

उसका प्रतिशोध

अभी अधूरा है/

-डाॅ एम डी सिंह ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

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