शिमला। न्यूज व्यूज पोस्ट/
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुशंसाओं के अनुरूप नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के संबंध में व्यापक विचार विमर्श हेतु इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष डॉ निर्मलजीत सिंह कलसी का ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया । अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वावधान में आयोजित इस व्याख्यान में देशभर के 300 से अधिक विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के 4000 से अधिक शिक्षक जुड़े । अधिकांश स्थानों पर शिक्षकों ने सामूहिक रूप से व्याख्यान को बड़े पर्दे पर सुना ।
व्याख्यान में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के संबंध में विस्तार से बताते हुए राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस निर्मलजीत सिंह कलसी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनुशंसाओं के अनुरूप इस फ्रेमवर्क को स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट को एकीकृत करने और आजीवन सीखने के अवसर प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है । कलसी ने बताया कि यह फ्रेमवर्क आजीवन सीखने और कौशल की नई संभावनाएं पैदा कर प्रति व्यक्ति उत्पादकता को बढ़ावा देगा और इस सदी का नेतृत्व करने के लिए भारत के लिए एक मजबूत नींव रखेगा ।
डॉ. कलसी ने फ्रेमवर्क की क्रेडिट संरचना के बारे में बताते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा में कक्षा 5वीं से 12वीं तक क्रेडिट स्तर 1 से 4 तक तथा उच्च शिक्षा में 4.5 से 8 तक होगा। अभी तक स्कूल शिक्षा में कोई क्रेडिट फ्रेमवर्क नहीं था । क्रेडिट केवल कक्षा शिक्षण के लिए ही नहीं बल्कि पाठ्यतर गतिविधियों यथा – खेल, योग , प्रदर्शन कला, संगीत, सामाजिक कार्य, व्यावसायिक शिक्षा, इंटर्नशिप, नौकरी प्रशिक्षण आदि के लिए भी देने की बात नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क में शामिल की गई है । डॉ कलसी ने व्याख्यान के बाद देशभर के शिक्षकों के विभिन्न प्रश्नों का भी विस्तार से जवाब दिया ।
उल्लेखनीय है कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को यूजीसी, एआईसीटीई, सीबीएसई, एनसीईआरटी, शिक्षा मंत्रालय, प्रशिक्षण महानिदेशालय, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान और राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है । कार्यक्रम में महासंघ के अध्यक्ष प्रो जे पी सिंहल, संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सह संगठन मंत्री जी लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार, महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा भी उपस्थित रहे।