दिल्ली। न्यूज़ व्यूज पोस्ट— इस सृष्टि में किसी भी चीज का निर्माण के साथ ही विनाश होना निश्चित हो जाता है। जिस दिन मनुष्य का जन्म होता है, उसी के साथ किसी न किसी दिन उसकी मृत्यु होना भी निश्चित हो जाता है। मकान के निर्माण कि नींव पर उसके विनाश होना भी निश्चित हो जाता है। व्यक्ति के जन्म दिन मनाने के साथ ही उसके जीवन का एक वर्ष कम होना निश्चित हो जाता है। यह नियम संसार के प्रत्येक जीव तथा वस्तु पर लागू होता है। पहले हम किसी चीज के संग्रह के लिए तमाम तिकड़म एवम प्रयास करते हैं, अगर प्रयास से वस्तु प्राप्त हो जाती है तो उसके बाद उसे बचाने के लिए, उसे सुरक्षित रखने में पूरी जिन्दगी लगा देते हैं फिर भी उसे एक न एक दिन समाप्त होना ही है, अन्यथा बचाते बचाते व्यक्ति को मृत्यु स्वयं ही समाप्त कर देगी। अगर व्यक्ति ने वस्तु को किसी तरह बचा भी लिया, लेकिन वह स्वयं को मृत्यु से नहीं बचा पाता है। अन्तिम सत्य मृत्यु है जिससे आज तक कोई नहीं बच पाया है। अतः वस्तु का विनाश होना निश्चित है और व्यक्ति का मृत्यु होना निश्चित है। अगर व्यक्ति इन दोनो चीजों को याद रखेगा तो वह हमेशा संतुष्ट,शान्त और आनंदित रहेगा। वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलेगा तथा वह मौत से कभी नहीं डरेगा। हम चीजों के संग्रह के चक्कर में जीवन जीना भूल जाते हैं।
राम इकबाल सिंह,”बादशाह” चेयरमैन, नैकॉफ